Book Title: Panchvastukgranth Part 1
Author(s): Haribhadrasuri, Rajshekharsuri
Publisher: Arihant Aradhak Trust
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२८० ]
[पञ्चवस्तुके
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गाथाङ्क:
५९४ ९४७ ५६० ५०३ १०७८ ६६६ ६७९ १०७१ १०७४ १०६९
४७
१२०
गाथाद्यचरणम् जइ सुहुमइआराणं जच्चाइगुणविभूसिअजच्चाइहिं अवण्णं जत्थऽम्हे वच्चामो जत्थ उ पमत्तयाए जमणाइभवब्भत्थो जमिह सुह भावणाए जम्मजराजीवणमरणजम्मजरामरणजलो जम्मणसंतीभावेसु जम्हा अपोरिसेअं जम्हा उ अभिस्संगो जम्हा उत्तरकप्पो जम्हा उ दोण्ह वि जम्हा उ पंचरत्तं जम्हा न धम्ममग्गे जम्हा वयसंपन्ना जम्हा समग्गमेअंपि जयणाए वट्टमाणो जयणेह धम्मजणणी जलथलखहयरमंसं जल्लमलपंकिआणवि जस्सिच्छाए जायइ जस्स जया पडिलेहा जस्स य जोगोत्ति जह जह इह दव्वथयाओ जह उस्सग्गंमि ठिओ जह खाराईहितो जह गहिअपालणंमी जह चेव असुहपरिणामओ जह चेव उ मोक्खफला
गाथाङ्क:
गाथाद्यचरणम् ८६६ जह चेव उ विहिरहिया ८८४ जह जह बहुस्सुओ १६३९ जह जह सुअमवगाहइ
४१४ जह तस्स न होइच्चिअ १०७६ जह देवाणं संगीअ
५१६ जह परिहरई संमं १६११ जह पाविअंपि वित्तं
६४८ जह पंचहिं बहूएहि १५९५ जह पंचसु समिईसुं १४८६ जह मणवयकायेहि १०३१ जह लोअम्मिऽवि विज्जो ११५२ जह वाहिओ अ किरिअं १५१६ जह विज्जगम्मि दाहं ९९२
जं अन्नाणी कम्म १५४० जं इमं इयं न दुक्खं
जं एअं एअं अट्ठारससीलंग९३२ जं किंचि पमाएणं ११७२ जं किंचि भासगं दठूणं १२६३ जं केवलिणा भणिअं १२६२ जंघाबलम्मि खीणे ३७५ जं च चउद्धा भणिओ ७२४ जं तमणाइसरूवं १९८ जं पुण अपरिसुद्धं ४३९ जं पुण एअ विउत्तं २९५ जं बहुगुणं पयाणं १२४७ जं बीअं चारित्तं ११७४ जं विसयविरत्ताणं १०४३ जं वीअरागगामी ५१३ जं वुच्चइत्ति वयणं ८९४ जं सो उक्किट्ठयरं ११९ । जं सो सया विवायं
१७०७
१२९९ ५६४
८५७ ११६२ १४१६ ९३९ ५९० १५२२ १२१९ १०५९ १६०७ ११४७ १२६८ ६२५ १९५ ११४६ १२७९ १३०४ १६८०
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