Book Title: Panchvastukgranth Part 1
Author(s): Haribhadrasuri, Rajshekharsuri
Publisher: Arihant Aradhak Trust

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Page 304
________________ मूलगाथाऽकाराद्यनुक्रमः] [२७९ गाथाद्यचरणम् गाथाङ्क: १४७३ १६८४ १०१० १४७२ ४८० ५८६ २७१ गाथाङ्कः | गाथाद्यचरणम् चोअग एवंपि इहं २०८ चोएइ कहं समणो ९८ चोएइ जई जिट्ठो २२० चोएई पढमदिणे ११९६ चोएइ हंदि एवं चोद्दस्स वासस्स तहा ४४० ३१८ ८१६ छउमत्थो परमत्थं १३३८ छउमत्थो परिणाम १८२ छक्कायरक्खणट्ठा १५७४ छट्टम्मि दिआगहिअं ३७३ छप्पुरिमा तितिअकए ८३६ छलिएण व पव्वज्जाकाले ४८७ छाएइ अणुकुईए २६७ छेअसुआईएसु १६५३ ७२३ १११ जइऽवि वयमाइएहिं ४९२ जइ एवं किं गिहिणो ७१० जइ एवं कीस मुणी जइ एवं ता किं पुण २१७ जइ एवं तो कम्हा ८४८ जइ जिणमयं पवज्जह ११३३ जइ णाम कम्मपरिणइ१२५ जइणो अदूसिअस्स १५९८ जइणोऽवि हु दव्वत्थय ३२६ जइ पुण निव्वाघाओ २९१ जइ पुण पासवणं से जइभागगया मत्ता १३५ । जइवि न पावइ सेkि चइऊणऽगारवा चइऊण घरावासं चइऊण घरावासं चउकारणपरिसुद्धं चउकोण भाणकोणे चउभागवसेसाए चउरंगुलमप्पत्तं चउरंगुल विहत्थी चउवीसत्थय नवकार चत्तंमि घरावासे चत्तारि विचित्ताई चत्तारि हुंति तिल्ला चम्मतियं पट्टदुगं चरणं सारो दंसणचरिमाए पोरिसीए चंकमणाइ सत्तो चंकमिअं ठिअमुट्ठिअं चाउद्दसिं पण्णरसिं चाउम्मासियवरिसे चाउस्सालाईए चाओ इमेसि सम्म चारित्तविहीणस्स चिअमंससोणिअस्स चिइवंदण थुइवुढि चिइवंदण रयहरणं चिंतामणी अप्पुव्वो चिंतित्तु जोगमखिलं चिंतित्तु तओ पच्छा चितेइ कज्जमन्नं चेइअकुलगणसंघे ६०५ १७८ ८१० ६६२ २४२ ५७२ ८२९ ९७८ १०१२ १८६ १५६३ ३२५ १७२ ६३९ ११५३ १२१० ४४५ ३१५ ३६३ १६१० ८८५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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