Book Title: Panchlingiprakaranam
Author(s): Hemlata Beliya
Publisher: Vimal Sudarshan Chandra Parmarthik Jain Trust

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Page 295
________________ चयनित शब्दावली : xi जहाँ पापी अपना अशुभ कर्मफल भोगते हैं नारक - नरक में अपने कर्मों का फल भोगने वाले जीव नाटक - ड्रामा निःशेष - संपूर्ण निह्नव - अपलापी निमित्त - कसी कार्य के होने का माध्यम निर्वद्य - अहिंसक निर्जरा - अलग होना निर्वाण - कर्ममोक्ष के पश्चात् सिद्धत्व प्राप्ति निर्वेद - संसार से विरक्ति निश्चय नय - वस्तु के किसी एक __ पक्ष का आत्मसापेक्ष्य विवरण न्याय - तर्कशास्त्र; नियमानुकूल निर्णय पदार्थ - वस्तु (जैन-दर्शन सम्मत जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश, व काल) परमार्थ - सर्वोच्च कार्य परलोक - जन्मान्तर में प्राप्त होने वाला लोक परिग्रह - आसक्तियुक्त धन-संपदा पल्योपम - असंख्यात् काल का (गड्डे के उदाहरण से) एक अनुमान पाप - बुरे कार्यों से होने वाला अशुभकर्मबंध पंचतंत्र - आचार्य विष्णु शर्मा द्वारा रचित पशुकथाओं का संग्रह जिसमें नीति की शिक्षएँ दी गई हैं परिजन - सगे संबंधी व आश्रित जन परिणमन - परिवर्तन परिणाम - फल, भाव पश्चाताप - दोषपूर्ण कार्य होने पर ग्लानि का भाव पात्र - योग्य; बर्तन पिपासा - प्यास पिहितासव - आस्रवनिरुद्ध पुण्य - अच्छे कार्यों के फलस्वरूप ___ होने वाला शुभकर्मबंध पुद्गल - साकार द्रव्य पोत - जलयान प्रतिभा - योग्यता, क्षमता प्रत्याख्यान - त्यागने का व्रत लेना प्रशस्त - प्रशंसनीय प्राण - जान, जीवन्तता प्रायश्चित्त - दोष रिमार्जन की क्रिया पथ्वी - धरा पथ्वीकाय - ऐसे जीव जिनका

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