Book Title: Panchastikaya
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 19
________________ पंचास्तिकाय पुद्गल द्रव्यके चार भेद खंधा य खंधदेसा, खंधपदेसा य होंति परमाणू। इदि ते चदुब्बियप्पा, पुग्गलकाया मुणेयव्वा।।७४।। स्कंध, एकस्कंध, स्कंधप्रदेश और परमाणु इस प्रकार पुद्गल द्रव्यके चार भेद हैं।।७४ ।। स्कंध आदिके लक्षण खंधं सयलसमत्थं, तस्स दु अद्धं भणंति देसोत्ति। अद्धद्धं च पदेसो, परमाणू चेव अविभागी।।७५।। समस्त परमाणुओंसे मिलकर बना हुआ पिंड स्कंध, स्कंधसे आधा स्कंधदेश, स्कंधदेशसे आधा स्कंधप्रदेश और अविभागी अंशको परमाणु कहते हैं।।७५ ।। स्कंधोंके छह भेदोंका वर्णन बादरसुहुमगदाणं, खंधाणं पुग्गलोत्ति ववहारो। ते होंति छप्पयारा, तेलोक्कं जेहिं णिप्पण्णं ।।७६।। बादर और सूक्ष्म परिणमनको प्राप्त हुए स्कंधोंका पुद्गल शब्दसे व्यवहार होता है। वे स्कंध १. बादरबादर, २. बादर, ३. बादरसूक्ष्म, ४. सूक्ष्मबादर, ५. सूक्ष्म और ६. सूक्ष्मसूक्ष्मके भेदसे छह प्रकारके हैं। इन्हीं छह स्कंधोंसे तीन लोककी रचना हुई है। जो पुद्गलपिंड दो खंड करनेपर अपने आप फिर न मिल सकें ऐसे काष्ठ, पाषाण आदिको बादरबादर कहते हैं। जो पुद्गल स्कंध खंड खंड होनेपर फिर भी अपने आपमें मिल जावें ऐसे जल, घृत आदि आदि पुद्गलोंको बादर कहते हैं। जो पुद्गलस्कंध देखनेमें स्थूल होनेपर भी ग्रहणमें न आवें ऐसे धूप, छाया, चाँदनी आदिको बादरसूक्ष्म कहते हैं। जो स्कंध नेत्रइंद्रियसे ग्रहणमें न आनेके कारण सूक्ष्म हैं परंतु अन्य इंद्रियोंके द्वारा ग्रहणमें आनेसे स्थूल हैं ऐसे स्पर्श रस गंधादिको सूक्ष्मबादर कहते हैं। जो स्कंध अत्यंत सूक्ष्म होनेके कारण किसी भी इंद्रियके द्वारा ग्रहणमें नहीं आवे ऐसे कार्मण वर्गणाके द्रव्यको सूक्ष्म कहते हैं। और कार्मण वर्गणासे नीचे व्यणुकस्कंध पर्यंतके पुद्गलद्रव्यको सूक्ष्मसूक्ष्म कहते हैं।।७६।। परमाणुका लक्षण सव्वेसिं खंधाणं, जो अंतो तं वियाण परमाणू। सो सस्सदो असद्दो, एक्को अविभागी मुत्तिभवो।।७७।। समस्त स्कंधोंका जो अंतिम भेद है उसे परमाणु जानना चाहिए। वह परमाणु नित्य है, शब्दरहित है, एक है, अविभागी है, मूर्तस्कंधसे उत्पन्न हुआ है और मूर्त स्कंधका कारण भी है।।७७ ।।

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