Book Title: Painnay suttai Part 2 Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak Publisher: Mahavir Jain Vidyalay View full book textPage 8
________________ गंथसमप्पणं ते जयवंता वटुंतु मुणिवरा सूरिणो तहुज्झाया । अणुवकयपरुवयारा महाणुभावा महामइणो ॥१॥ सिरिवीरभद्दसूरी उज्जोयणनामधेजसूरिवरा । सिरिअभयदेवसूरी आयरिया हेमचंदा य ॥२॥ अण्णायनामधेजा तहा य अण्णे वि जे मुणिभदंता । जेहि कयाओ रयणाओ मुद्दिया एत्थ गंथम्मि ॥३॥ विसेसयं ॥ उवरुत्ताणं वइवरवसहाणं तह य तेहि सरिसाणं । निग्गंथाणं च तहा आराहयसव्वजीवाणं ॥४॥ करकमलकोसमझे कम्मक्खयकारगो महागंथो । अप्पिज इ एस वरो कम्मक्खयलालसेण मए ॥५॥ अमएण भोजगणं अणहिलपुरवासगेण पणएणं । मोहणलालस्स तहा हरकुंवरीए य पुत्तेणं ॥६॥ आगमपहाकराणं विउवरसिरिपुण्णविजयनामाणं । सिस्सेण विणीएणं 'पंडिय'अक्खाए जुत्तेणं ॥७॥ कलावयं ॥ तुम्ह पसाया लद्धं वत्थु तुम्हाण अप्पयंतस्स । मज्झं खु बालचरियं खमंतु पुज्जा खमासमणा ॥८॥ जयउ सिरिसंघभट्टारओ य तह पवयणं जिणेसाणं । आरायसव्वजणो, होउ सया मंगलं लोए ॥९॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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