Book Title: Paia Padibimbo
Author(s): Vimalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 146
________________ तइओ सग्गो जाणेई' णो को वि कयाइ हुवेज्जा, मच्चाण जीअम्मि परिवत्तणं य । दुट्ठा अदुट्ठा सुयणा य दुट्ठा, हा ! होति भावाण वसं गया य ॥१॥ घेत्तूण धम्म य गिहत्थरूवं, पालेइ चित्तेण तया सुबाहू ।। कुव्वेइ अप्पं य बलाणुरूवं, सो पोसहाइं य कयं' तयाणि ।।२।। सो एगया अट्ठमभत्तगं य, घेत्तूण कुम्वेइ हु पोसहं य । मज्झाअ रत्तीअ य तस्स चित्ते, भावा इमे जागरिया सुहा य ।।२।। धण्णो स गामो निगमो इयाणि, सक्खं य वीरो विहरेइ जत्थ । धण्णा मणुस्सा सयला य ते जे, सेव्वंति तं से य सुणेति वाणि ॥४॥ आवच्चेज्ज सो चे' भगवं दयाल, गामाणुगामा जइ अत्थ इण्हि । तेसिं समीवे अहयं तयाणि, गेण्हेज्ज दिक्खं दुहणासिणि य ॥५॥ सुद्धेण चित्तेण कया य भावा, णाई मुहा होइ णराण लोगे । सागाररूवा पुरिमं य पच्छा, ते होंति णूणं पिसुणेति विण्णा ।।३।। भावा कुमारस्स वियाणिऊण, णाणेण वीरो जगतारगो य । तं तारिउं सो य तहिं तयाणि, सीसेहि सद्धि य समागमेइ ।।७।। णाऊण वीरस्स समागई भो !, भत्ता तयाणि य पमोयचित्ता। तेसिं कुणेउं सुहदसणं ते, हंपुग्विअं तत्थ समागमेंति ।।८।। सोऊण वीरस्स समागई सो, भूवस्स पुत्तो कुमरो सुबाहू । वच्चेइ लभ्रूण मुयं स-चित्ते, काउं य तेसिं सुहदसणं य ।।९।। ठूण मेहं जह' चायगाण, मोएइ चित्तं भुवणम्मि अत्थ । लक्षूण दंसं पहुणो तहेव, मोएइ भत्ताण मणो तयाणि ।।१०।। १. छंद--इन्द्रवज्रा। २. कार्यम् । ३. आव्रजेत् । ४. विज्ञाः । ५. यथा (वाऽव्ययोत्खातादावदातः प्रा. व्या. ८।१।६७ इति सूत्रेण जह, जहा द्वौ भवतः)।

Loading...

Page Navigation
1 ... 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170