Book Title: Paia Padibimbo
Author(s): Vimalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 157
________________ प्रशस्ति १. आचार में, विचार में तथा एकता में जिसका नाम संसार में प्रसिद्ध है, वह तेरापंथ धर्मसंघ वर्धमान हो। २. जिसमें गुरु आज्ञा ही प्रधान है, मुनिगण अपना शिष्य नहीं करते और जहां पद का द्वन्द्व नहीं है वह तेरापंथ धर्मसंघ वर्धमान हो । ३. जिसमें सेवा और विनय ही प्रधान है, आचारहीन को कोई स्थान नहीं है और जिसके प्रवर्तक भिक्षु स्वामी (आचार्य भिक्षु) हैं वह तेरापंथ धर्मसंघ वर्धमान हो। ४. जिसमें आठ प्रतिभावान् आचार्य हो चुके हैं और नवमें सुदक्ष आचार्य श्री तुलसी हैं, वह तेरापंथ धर्मसंघ वर्धमान हो । ५. जिनके शासन काल में तेरापंथ संघ ने सब प्रकार से प्रगति की और संघ ने जिन्हें युगप्रधान पद दिया वे आचार्य श्री तुलसी चिरायु हों। ६-७. जिन्होंने शिष्य मुनि नथमल जी को प्राज्ञ, विनम्र और आचार संपन्न जानकर जनता के सम्मुख उन्हें अपना सम्मानपूर्वक पद दिया तथा उनके नाम को बदलकर 'युवाचार्य महाप्रज्ञ' यह यथार्थ नाम रखा। उन तुलसी गणी की आज्ञा में विकास करता हुआ तेरापंथ धर्मसंघ वर्धमान हो। ८. उन्होंने संघ में नये-नये कार्य किये हैं जिनमें एक है—पद का विसर्जन । ___ जो इस युग में पद-पीडितों को निश्चित प्रेरणा देगा। . ९. अपनी विद्यमानता में युवाचार्य महाप्रज्ञ को आचार्य बनाकर और गण का भार देकर जो भारमुक्त हो गये हैं वे तुलसी मेरे हृदय में बसे रहें। १०. उन्होंने अनेक व्यक्तियों को दीक्षित कर उनका विकास किया उनमें एक मैं भी हूं। सब मुझे 'विमल' नाम से जानें ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170