Book Title: Paia Padibimbo
Author(s): Vimalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 166
________________ १४६ णाई = नहीं । गाउं = जानने के लिए । णाऊण जानकर णायं = स्वर्ग को | णिअंतं = नितान्त | णिअच्छिओ = देखा । गिद्ध = मित्र | णिस्साण = दरिद्रों का । तवेइ = गरम करता है । तुरिअं = शीघ्र | थेज्जो= जिसमें स्थिरता का गुण हो । / दंगं=नगर । दुत्ति = शीघ्र | दुयं = शीघ्र | धंतं = अन्धकार | धीरं = धैर्य | निगूहित्ता = छिपा कर । पक्कलो = समर्थ | पच्चाएसं= दृष्टान्त । पम्हुसेइ = विस्मृत करता है । पउरा=पुरवासी । पण = शर्त | पणामिओ = अर्पित किया । पहा = प्रथा । पडियं = स्वीकार किया । पडिसोच्छं = स्वीकार करूंगा । परिअत्तणं = परिवर्तन | पाइपfsfat परोप्परं = =परस्पर । पारकेरा = दूसरों की । पुरिमं = पूर्व | पीला = पीडा | फिट्टति = भ्रष्ट होते हैं । बुज्झा = =जानकर । भिसेज्जा = चमको । महि = भावों से | ममाइ = मेरा | महेइ = चाहता है । माइं= मत । मिच्चुं=मृत्यु को | मेरा = मर्यादा, सीमा । मोत्तुआण=छोड़कर । मोत्तूण = छोड़कर | राउलिया = राजपरिवार के लोग । रिक्को - रिक्त | रिओइ = प्रवेश करता है । लूरेंति = काटते हैं । वज्जरेइ=कहता है | वम्फेइ=चाहता है | वयंसो = मित्र | वसुं=धन । वायालो = वाचाल । वारं=द्वार । वारिज्जयं = विवाह | विम्हरिऊण = याद करके ।

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