Book Title: Paia Padibimbo
Author(s): Vimalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 155
________________ सुबाहुरियं १३५ ४५. देवलोक से च्यवन कर वह पुनः मनुष्य जन्म प्राप्त करेगा । इस प्रकार एक भव मनुष्य का और एक भव देवलोक में करेगा । ४६. वह प्रथम भव सनत्कुमारकल्प में और दूसरा भव मनुष्य का करेगा । तीसरा भव ब्रह्म देवलोक में और चौथा भव मनुष्य का करेगा । ४७. वह पांचवां भव महाशुक्ल कल्प में और छट्टा भव मनुष्य का करेगा । सातवां भव आनतकल्पवास में और आठवां भवं मनुष्य का करेगा । ४८-४९. नवमां भव आरण कल्प में और दसवां भव मनुष्य का करेगा । ग्यारहवां भव सर्वार्थसिद्ध में करके महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेगा । साधुओं की संगति पाकर तब वह वहां धर्म सुनेगा । ५०. मन में वैराग्यभाव को पाकर वह दीक्षा ग्रहण करेगा । तत्पश्चात् कर्मों का नाश करके वह मुक्ति को प्राप्त करेगा । तृतीय सर्ग समाप्त विमलमुनिविरचित पद्य प्रबन्धसुबाहुचरित्र समाप्त

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