Book Title: Padmashree Dr KumarpalDesai
Author(s): Santosh Surana
Publisher: Anekant Bharti Prakashan

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Page 5
________________ जैनदर्शन की अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिभा मूल्यनिष्ठ पत्रकार एवं सत्वशील साहित्य-सर्जक डॉ. कुमारपाल देसाई प्रेरक, मूल्यनिष्ठ और आध्यात्मिक साहित्य-सर्जक, चिन्तक और विचारक के रूप में श्री कुमारपाल देसाई का व्यक्तित्व मानवीय मूल्यों और आध्यात्मिक अभीप्साओं की सुगन्ध चहुँ ओर फैलाता जा रहा है। ऐसे व्यक्तित्व के धनी कुमारपाल देसाई का जन्म राणपुर में 30 अगस्त 1942 के दिन हुआ था। इनका मूल वतन सायला है। आपकी माता का नाम जयाबहन और पिता का नाम बालाभाई देसाई है। आपके पिता का उपनाम 'जयभिक्खु' था। 'जयभिक्खु' गुजराती साहित्य के लोकप्रिय लेखक रहे हैं। आपने लगभग 250 पुस्तकें लिखी हैं। आपके जीवन-निर्माण में माता-पिता का महत्वपूर्ण योगदान रहा । साहित्य-सर्जन की सफलता में आपके पिता का विशिष्ट योगदान रहा, तो दूसरी ओर व्यक्तित्व-विकास में आपकी माता का अमूल्य योगदान रहा । जयाबहन आदर्श भारतीय नारी थीं । मातुश्री की सन् 1930 के असहयोग आन्दोलन की सहभागिता को भुलाया नहीं जा सकता। इकलौते पुत्र कुमारपाल ने बाल्यावस्था में गाँधी जी के विषय में अनेक कविताएँ माँ से सुनी एवं आपको हृदयंगम हो गईं। आपने अपने मुख्य विषय गुजराती के साथ अहमदाबाद से सन् 1963 में बी.ए., सन् 1965 में एम.ए. किया और गुजराती के अध्यापक बने । सन् 1983 में गुजरात विश्वविद्यालय के भाषा साहित्य भवन में गुजराती विभाग के व्याख्याता के रूप में नियुक्त हुए । उससे पूर्व सन् 1980 में पद्मभूषण डॉ. धीरूभाई ठाकर के मार्गदर्शन में 'आनंदघन : एक अध्ययन' विषय पर शोध-प्रबन्ध लिखकर आपने गुजरात (3)

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