Book Title: Padmasagarsuriji Ek Parichay
Author(s): Vimalsagar
Publisher: Ashtmangal Foundation

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सचमुच ही आने वाला वक्त आपको साहित्य-संरक्षक, संस्कार-निर्माता और एक महान युगपुरुष के रूप में अमर करेगा जन्म और बाल्यकाल अनेक महापुरुषों के जन्म और कर्म की अमर घटनाओं के साक्षी बंगाल प्रान्त का एक ऐतिहासिक नगर है : अजीमगंज बंगलादेश की सीमा पर स्थित तत्कालीन मुर्शिदाबाद स्टेट का यह सुप्रसिद्ध नगर अपने में जैनों की अपार वैभव - सम्पन्नता और अद्भुत धर्म - भावना को समेटे हुए है. उत्तुंग शिखरों से सुशोभित और सम्पत्ति के सदुपयोग के प्रतीक के रूप में विनिर्मित सात भव्य व्यक्तिगत जिन -प्रासादों के इस नगर में १० सितम्बर १९३५ के मंगल दिन प्रेमचन्द' के नाम से एक ऐसी विरल आत्मा ने जन्म लिया था, जिसने सावधानी पूर्वक समय के साथ-साथ कदम बढ़ा कर ‘राष्ट्रसंत महान जैनाचार्य श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज' के मशहूर नाम से अपने जीवन को आशातीत सार्थकता व अभूतपूर्व सफलता प्रदान की. जन्म से तीन माह पूर्व ही पिता श्री रामस्वरूपसिंहजी की छाया को खो चुके बालक प्रेमचन्द की सम्पूर्ण परवरिश श्रद्धेय माँ भवानीदेवी ने कुशलता के साथ सम्पन्न की. बालक की तेजस्वी मुखमुद्रा, सौम्य प्रकृति, चमक भरी आँखे इत्यादि से उसके उज्ज्वल भावी का १२ For Private And Personal Use Only

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