Book Title: Padmasagarsuriji Ek Parichay
Author(s): Vimalsagar
Publisher: Ashtmangal Foundation

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Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वर्ष के मांगलिक - श्रवण के बाद प्रेमचन्द ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी अभिलाषा सविनय व्यक्त की प्रेमचन्द की भावनाओं का आदर करते हुए आचार्यश्री ने उनको कुछ दिन अपने साथ रहने का सुझाव दिया. आचार्यश्री के सान्निध्य में प्रेमचन्द श्रमण जीवन के आचार - विचारों का लगन से अभ्यास करने लगे. आगे का धार्मिक - तात्त्विक अध्ययन भी आपने प्रारम्भ कर दिया. प्रेमचन्द का वैराग्यवासित जीवन देखकर आचार्यश्री ने एक दिन संघ के पदाधिकारियों के समक्ष दीक्षा - महोत्सव के आयोजन का प्रस्ताव रखा. साणंद का संघ, जैसे इस महोत्सव की प्रतीक्षा में ही था, आचार्य प्रवर के प्रस्ताव को शिरोधार्य कर तत्काल महोत्सव की तैयारियों में जुट गया. ईसवी - सन् १९५५ के १३ नवम्बर की सुप्रभात हुई.साणंद आज एक महान ऐतिहासिक घटना का साक्षी बनने को तत्पर था. जनमेदिनी उमड़ी. संयम के गीत गाये जाने लगे. शहनाइयों के सुर बजे. प्रेमचन्द राजकुमार की भाँति सजे. जहाँ देखों वहाँ मात्र वीतराग के बतलाए अनूठे संयम - मार्ग की भावभीनी अनुमोदना के सुहावने स्वर थे. शुभ घड़ी आयी. प्रेमचन्द के संकल्प की दृढ़ता ने विचारों को वास्तविकता का ठोस परिणाम दिया. आचार्यश्री ने मुमुक्षु प्रेमचन्द को रजोहरण अर्पित किया. मुण्डन के बाद उज्जवल - धवल वस्त्रों में संयम २० For Private And Personal Use Only

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