Book Title: Nyaypraveshsutram Nyaypraveshvrutti Sahitam
Author(s): Aa Sempa Dorje
Publisher: Kendriya Uccha Tibbati Shiksha Samsthan
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________________ 50 འགྲོ་བ་ཅན་ནོ་, ཞེས་པའི་དོན་སྟེ། “ཚུལ་གསུམ་པའི་རྟགས་ལས་(བྱུང་བའི)རྟགས་ཅན་གྱི་ཤེས་བ་ནི་ རྗེས་སུ་དཔག་པའོ་”, - ཞེས་པར་བཤད་པར་བྱའོ། །དང་ གི་སྒྲ་ནི་ སྔ་མ་བཞིན་ནོ། / 34) 'साभासम्' इत्यादि / वक्ष्यति च 'कल्पनाज्ञानमर्थान्तरे प्रत्यक्षाभासम्' इत्यादि / *ཡང་ལྟར་སྣང་དང་བཅས་པ་, ཞེས་བྱ་བ་ལ་སོགས་པ་ནི་ - ་ངན་ གཞན་ལ་རྡོག་པའི་ཤེས་2པ་ནི་, མངོན་སུམ་ལྟར་སྣང་བའོ༔- ཞེས་སོགས་སུ་ བཤད་པར་བྱའོ། / 35) तथा "हेत्वाभासपूर्वकं ज्ञानमनुमानाभासम्" इत्यादि च / तु शब्दस्त्वेवकारार्थः / स चावधारण इति दर्शयिष्यामः // དེ་བཞིན་དུ་- རྟགས་ལྟར་སྣང་སྔོན་དུ་འགྲོ་བ་ཅན་གྱི་ཤེས་3པ་ནི་ ཏུ་བཤད་པར་བྱཧll 1) यद्यपि-"कल्पनाज्ञानमन्तिरे प्रत्यक्षाभासम्- का अर्थ-कल्पना एवं अर्थान्तर में प्रवृत्तज्ञान प्रत्यक्षाभास है, ऐसा प्रतीत होता है क्यों कि प्रमाण समुच्चय आदि मे अनेक स्थलों पर प्रत्यक्षाभास के विवेचना के अवसरों मे कल्पनागत प्रत्यक्षाभास एवं प्रत्यक्षगत (इन्द्रियज्ञानगत) प्रत्यक्षामास' ये दो भेद स्पष्ट दृष्टिगत होते है। परन्तु इसी में (इसीग्रन्थ में) आगे विस्तार के सन्दर्भ में-"यज्ज्ञानं घटः पट इति वा विकल्पयतः"-ऐसा पाठ है / अतः यहाँ अर्थान्तर (सामान्यलक्षण) में विकल्पतया प्रवृत्तज्ञान प्रत्यक्षाभासत्वेन अभीष्ट है / 2)འདིར-ད ན་གཞན་ལ་འཇུག་བའམ; རྟོག པའི་གབ བ་ནི; མངོན་སུམ་ལྟར་སྣང; ཞེས་འོང་དགོས་ལ; གཞན་དུ་ན་གངས་རི་སྔར་ལྟུང་གི་དྭབང་ཞིག་འདིར་བཙུན་མངོན་སུམ་ལྟར་བྱུང་དུ མི་འགྱུར་མེད། ལྕ་ བ འི་མདུ ར་བསྟན་རྒྱས་བཤད་བློ་བསྟན་ན་གང་ལྟར་ཕེགས་པས; དེ་ལྟར་བཞག་གོ / 3) བོད་འགྱུར་རྣམས་རྒྱུ་-་་སྔར་གྱི་རྟགས་ལྟར་སྒྲུང་ལས་རྟོགས བ”༡ ཞེས་བྱུང་ (3., B. 3*