Book Title: Niti Tattvadarsh Yane Vividh Shloak Sangraha
Author(s): Ravichandra Maharaj
Publisher: Ravji Khetsi

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Page 489
________________ ( ४७८ ) मरणा मरणा क्या करो मरी न जाणे कोय ॥ मरणा एसा कीजियें फरी मरणा नवि होय ॥ ८ ॥ मारुं मारुं शुं करे नथी तारुं तिलमार ॥ सहु छोडी चाल्या जशुं पुत्र नारी परिवार ॥ ९ ॥ मधुर वचन शुणीने मिटे आवेलं अभिमान ॥ जरा जले दूधनुं मिटे जिम उभारानुं तान ॥ १० ॥ मटे नहि मरता लगे पडी टेव प्रख्यात ॥ फाटे पण फोटे नहि पडी पटोरे भांत ॥ ११ ॥ मूरखने प्रतिबोधतां मति पोतानी जाय ॥ टपलो शराण चढावतां आरीशो नव थाय ॥ १२ ॥ मान मले छे गुणवडे गुण विण मान न होय ॥ पोपट पाले प्रीतथी काग न पाले कोय ॥ १३ ॥ मन गयो तो जाने दे मत जाने दे शरीर ॥ ना खेचे कमान तो क्या लगेगा तीर ॥ १४ ॥ माखी मकोडो मूरखनर माथु खोसी मरंत ॥ भमर भौरींगने चतुर नर डंसी दूर फरंत ॥ १५ ॥ मन विना मलवु किस्युं चाववुं दांत विण ॥ गुरु विना भणवुं तिस्युं जीमवुं जेम अलूण ॥ १६ ॥

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