Book Title: Niryukti Sangraha
Author(s): Bhadrabahuswami, Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 11
________________ विषय: क्रमः २७ सप्तविंशाध्ययन निर्युक्तिः २८ अष्टाविंशाध्ययन २९ एकोनत्रिंशदध्ययन ३० त्रिंशदध्ययन ३१ एकत्रिंशत्तमाध्ययन ३२ द्वात्रिंशत्तमाध्ययन १० १. प्रथमाध्ययननियुक्तिः १- ३ तृतीयोदेशक १- ४ चतुर्थोदेशक १- ५ पञ्चमोदेशक " १- ६ षष्ठोदेशक १-७ सप्तमोदेशक 11 "1 11 ३३ त्रयत्रिंशत्तमाध्ययन ३४ चतुस्त्रिंशत्तमाध्ययन ३५ पञ्चत्रिंशत्तमाध्ययन ३६ षट्त्रिंशत्तमाध्ययन || ६ || श्री आचाराङ्गनिर्युक्तिः ।। ( ४५० ) ४२० ||१|| प्रथम श्रुतस्कन्धः || " " 73 33 १ - १ प्रथमोदेशक निर्युक्तिः १-२ द्वितीयादेशक }) "7 " ** 37 17 "3 २ द्वितीयाध्ययननिर्युक्तिः २- १ प्रथमोदेशक निर्युक्तिः पृष्ठ ४१२ ४१३ ४१४ ४१४ ४१५ ४१५ ४१६ ४१७ ४१८ ४१८ Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only ४२० ४२० ४२६ ४३० ४३१ ४३२ ४३४ ४३५ ४३६ ४३६ www.jainelibrary.org

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