Book Title: Navya Panch Karmgrantha Tatha Saptatika
Author(s): Devendrasuri, Purvacharya, Malaygirisuri
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
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प्रास्ताविक
___ आ हकीकत कर्मग्रंथनी प्रशस्ति तथा गुर्वावलो तेमज गुरुगुणरत्नाकरकाव्य आदि ग्रंथो उपरथी जाणी शकाय छे. गुर्वावलीमा तेओश्रीना स्वर्गवासनो समय वि० सं० १३२७ जणाव्यो छे. ए उपरथी तेओश्रीनो समय विक्रमनी १३-१४ सदीनो गणी शकाय. __ श्रीमान् जगच्चन्द्रसूरिजी महाराजश्रीने 'तपा' नु विरूद मल्या बाद श्री देवेन्द्रसूरिजी तथा श्री विजयचंद्रमूरिजीने रिपद समर्पण कर्यानुवर्णन गुर्वावलीमां आवे छे. आ उपरथी अनुमान थाय छे के-सं० १२८५ पछी तेओश्रीने कोइपण समये सुरिपद आपवामां आवेल हशे.
जन्म स्थान आदि:-तेओश्रीना जन्मस्थान, जाति, माता-पिता आदिनी प्रमाणभूत हकीकत जाणवा मलती नथी. मात्र गुर्वावली आदिना आधारे तेओश्रीनो विहार मालवा तथा गुजरातमांज मोटे भागे थयो छे. तेथी तेओश्रीनी जन्मभूमि गुजरात के मालवा होवानो संभव छे.
विद्वत्ता:-तेओश्रीनी विद्वत्ता अजोड हती, तेमणे रचेल प्राकृत अने संस्कृत भापाना ग्रंथो जोतां तेओ असाधारण प्रतिभाशाली, जैनसिद्धांत तथा दर्शनशास्त्रना पारंगत विद्वान हता. तेनी साक्षी तेओश्री निर्माण करेल ग्रंथो पूरी पाडे छे.
तेओश्री अद्भुत व्याख्यानशक्ति धरावता हता. तेथी तेमना धर्मोपदेशने प्रतिभासंपन्न वस्तुपाल जेवा मंत्रिओ अने अनेक ब्राह्मणपंडितो घणा ज रसपूर्वक श्रवण करता हता. ओ बाबतनो उल्लेख गुर्वावली मां मले छे.
गुरुः-तेओश्रीना गुरु वृद्धगच्छीय आचार्य श्री जगच्चन्द्रसूरि म० हता. तेओश्रीए गच्छमां आवेली शिथिलता दूर करवा चैत्रवालगच्छीय श्री देवभद्र उपाध्यायनी मददथी क्रियोद्धार को हतो. शरुआतमा छ विगइनो त्याग करी जींदगी सुधी आयंबिल तप करवानो निर्णय कर्यो, आ प्रमाणे आयंबिल तपनी तपश्चर्या करतां बार वर्ष व्यतीत थतां तेमने तपा ए विरुद मल्यु हतु. अने त्यारथी वृद्धगच्छ ए नामने बदले तपागच्छ नाम प्रवत्यु वस्तुपाल वगेरेए ते महापुरुषनी सत्कार-सन्मानरूप पूजा करी हती, तेमज तेमणे मेवाडनी राजधानी आघाटमा ३२ दिगंबर वादीओनी साथे वाद को हतो तेमां तेओ हीरानी जेम अभेद्य रहेवाथी चित्तोडना महाराणाए तेमने होरला जगच्चंद्रसूरि एवु बिरुद आप्यु हतु,
आ महापुरुषना प्रभावथी अमना पछी आ तपागच्छमां अनेक प्रभावशाली आचार्यो विगेरे थया छे.
परिवारः-पू० आ० श्री देवेन्द्रसूरिजी म. नो परिवार केटलो हतो, तेनो सत्तावार खुलासो मलतो नथी, गुर्वावली नो उल्लेख जोतां उपाध्याय श्री हेमकलश गणि वगेरे संविज्ञपाक्षिक मुनिओ पण तेओश्रीना परिवारमा हता.

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