Book Title: Nandisutram Avchuri
Author(s): Devvachak, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 213
________________ नन्दिसूत्रम् अवचूरिसमलंकृतम् ॥२१॥ CARRE SOSIASA कारणा अणंता अकारणा अणंता जीवा अणता अजीवा अणंता भवसिद्धिया अणंता अभवसिद्धिया अणंता सिद्धा अणंता असिद्धा पन्नता भावमभावा हेउमहेउ कारणमकारणे चेव ॥ जीवाजीवा भविअमभविआ सिद्धा असिद्धा य॥१॥ इच्चेइ दुवालसंग गणिपिडगं तीए काले अणंता जीवा आणाए विराहित्ता चाउरंतं संसारकंतारं अणुपरिअहिंसु। इच्चेइ दुवालसंगं गणिपिडगं पडुपन्नकाले परित्ता जीवा आणाए विराहित्ता चाउरंतं संसारकंतारं अणुपरिआहिति । इच्चेइअं दुवालसंगं गणिपिडगं अणागए काले अणंता जीवा आणाए विराहित्ता चाउरतं संसारकंतारं अणुपरिअहिस्संति । इच्चेइअं दुवालसंगं गणिपिडगं तीए काले अणंता जीवा आणाए आराहित्ता चाउरंतं संसारकतारं वीईवइंसु । इचेइ दुवालसंगं गणिपिडगं पडुपन्नकाले परित्ता जीवा आणाए आराहित्ता चाउरंतं संसारकतारं वीईवयंति।। इच्चेइ दुवालसंगं गणिपिडगं अणागए काले अणंता जीवा आणाए आराहित्ता चाउरतं संसारकंतारं वीईवइस्संति । इच्चेइ दुवालसंग गणिपिडगं न कयाइ नासी न कयाइ न भवइ न कयाइ न भविस्सइ भुवि च भवइ अभविस्सइअ धुवे निअए सासए अक्खए अव्वए अविहिए निचे से जहा ॥२१॥ CRUCINGS

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