Book Title: Namaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Author(s): Dhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vardhak Sabha

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Page 5
________________ 386 438 442 अनुक्रमणिका क्रमांक विषय पंचनमुक्कारफलं 380 (20) सिरिजिणदत्तसूरिविरइयं नमुक्काररहस्सथवणं सिरिजयचंदसूरिविरइयं पण्हगम्भं पंचपरमिट्टिथवणं (22) चउविहज्झाणथुत्तं चतुर्विधध्यानस्तोत्रम् ] सिरिणिकित्तिसूरिरइयं सोववण्णवक्खासमेयं पंचपरमिट्टिनमुक्कारमहथुत्तं परमेट्टिथयं 426 (25) सिरिगणिविजाथुत्तं (26) पंच-महा-परमिट्टि-संथयं (27) पंचपरमिट्टि-जयमाला (28) नवकारलहुकुलक (29) भत्तपरिन्नासंदब्भो (30) पंचसुत्तसंदभो (31) अंगविजापइण्णय-संदब्भो 443 (32) श्रीमद्हरिभद्रसूरिरचित संबोधप्रकरणग्रन्थादाचार्यादि-स्वरूपसंदर्भः 445 प्रवचनसारोद्धार-तट्टीका-संदर्भः . 450 (मूलकर्ता - श्रीनेमिचन्द्रसूरिः-टीकाकर्ता - श्रीसिद्धसेनसूरिः) (34) सिरिसिड्ढरिसिरहय 'चंदकेवलिचरिय'संदब्भो (35) सिरिदेवभरिरइय 'कहारयणकोस'संदब्भो 457 सिरिपउमसीहमुणिविरइय 'णाणसार'संदब्भो 464 सिरिरयणसेहरसूरिविरइय-'सिरिसिरिवालकहा'तो सिद्धचक्कयंतोद्धारविहिसंदभो श्रीक्षमाकल्याणगणिकृतव्याख्यासमेतः (38) सिरिरयणसेहरसूरिविरइय सिरिसिरिवालकहा'तो पंचपरमिट्ठिपयाराहणविहिसंदब्भो 477 (39) श्रीमद्रत्नशेखरसूरिरचित सिरिसिरिवालकहा'न्तर्गतपञ्चपरमेष्टिनः पञ्चनवकात्मकः संदर्भः 442 (40) उपदेशमालासंदभो 493 41) श्रीमद्हेमचन्द्रसूरिविरचितस्य प्राकृतद्वयाश्रयकाव्यस्य श्रीपूर्णकलशगणिरचितटीकोपेतस्य सप्तमसर्गस्य संदर्भः सिरिजिणदत्तसूरिविरइयस्स सिरिसमयसुंदरगणिकयवक्खोपेयस्स 'तं जयउ' थवणस्स संदब्भो (43) सिरिदेविंदसूरिविणिम्मिय—'सुदंसणाचरिय'संदबभो [अरिहंताइवण्णनं] (44) श्राद्धदिनकृत्यान्तर्गतो नमस्कारविषयकः संदर्भः चउसरणपयन्नासंदब्भो प्रकीर्ण यंत्र-चित्रो शुद्धिपत्रक (37) 495 تم 0 0 0 می گ 0 گی 0 0 0 گی 0 0 یک تک 0 4

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