Book Title: Namaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Author(s): Dhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vardhak Sabha

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Page 8
________________ KGDP AKOT VAL FIL महाकविगुणपालविरचित 'जंबुचरिय' संस्थितं // मङ्गलपञ्चकम् // जम्मजरमरणभवजलहिउत्तारए, सिद्धिपुरगमणसुहसंपयागारए / असुरसुरमणुयपरिवंदिए जे जिणे, मंगलं पढमयं इंतु ते बुहयणे // 814 // सयलसंसारपरिमुक्कसंवासए, भवियलोयाण सद्दिन्नसुहवासए। कम्मवणगहणयं सोसिउं सिद्धए, मंगलं बीययं हुंतु तुह सिद्धए // 815 // कुमयवाईकुरंगाण पंचाणणे, ससमयपरसमयसब्भावपंचाणणे / पंचहायारपडिपुन्नसंधारए, मंगलं तइययं हुंतु तह सुहयरे // 816 // सव्वसाहूण उवएससंपदायए, उभयमुत्तत्थकयपवरसज्झायंए / धम्मसुक्काण झाणाण सज्झायए, मंगलं चोत्थयं हुंतुवज्झायए // 817 // नाणतवचरणसम्मत्तगुणपुन्नए, कोहमयमाणभयलोहसंचुन्नए / सयलसावजवावारकयसंवरे, मंगलं पंचमं हुंतु तह मुणिवरे // 818 // A ND SMINAR का PHOTOS ANANhW सार AWAR

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