Book Title: Mugal Samrato ki Dharmik Niti
Author(s): Nina Jain
Publisher: Kashiram Saraf Shivpuri
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( 157 ) महाराज पाल्लविधीयमान न भोवाषिक विप्र विप्रतिपत्रो तच्छिक्षाकरण पूर्वक श्री गुरूभिः कारिता श्री गुरुमन्त्र नभस्यवाषिक व्यवस्थापिका सिद्धांतार्थ चुक्ति मा कर्ण्य तुष्टो राजा जयवादपत्राणि स्वमुद्रांकितानि श्रीगुरूश्यः प्रसादादुपठोकयतिस्म प्रतिपक्षस्य च पराजितस्य तादश राजनीति मासूत्रय श्रीराम इव सम्यग न्याय धर्म सत्यापितवान किंच कियदेवदस्मदगुरूणाम ॥यतः।
यजिग्ये मलकापुरे विवदिषुमूलभिधानो मुनिः । श्री मज्झैनमत यन्नुतिपंद नीति प्रतिष्ठानके ॥ टटानांशतशोडपियासुमिलितासुदृदीप्य युक्तीजिता । यमों में श्रयितः स बोरिदपुरेवादी श्रवरोदेवजी ।। . जैन न्याय गिराविवाद पदवी मारोप्य निर्धाटितो। पाचीदेश गजलणा पुरवरे दिगंबराचार्य राद् ।। श्री मद्रामपरेन्द्र संसदि किलात्मारामवादीवर । कस्तेषां च विवेकहषं सुविधयामने धराचन्द्रकः ॥ किंचास्मद गुरूवक्त्रानिर्गत महाशास्त्रामृताधौरतः। सर्वत्रामितमान्यतामवदधे श्री मयुगादिप्रभोः ।। तदभक्यै भुजपत्तने व्यरवेचत श्री भारमल्लप्रभुः ।
श्री मद्रायबिहारनाम जिनप्रपासादमत्यद भुतम् ॥ । अथव सम्वत् 1656 वर्षे श्रीकच्छदेशांजेंसला मण्डले विहरन्दि श्रीगुरूभिः प्रबल धनधान्याभिरामं श्रीखाखर ग्राम प्रतिबोध्य सम्यग धर्मक्षेत्रं चके यत्राधीशौ महाराज श्रीभारमल्लजी भ्राता कुअरश्रीपंचायणी प्रमद प्रबल पराक्रमाक्रांत इक्चक्रश्चक्रबन्धु प्रताप तेजा यस्यपट्टराज्ञी पुष्पांबाई प्रभृति तनूजाः कुवर इजाजी, हाजाजी, भीमजी, देसर जी, देवोजी, कमोनी, नामानो रिपुगजघटाकेशरिण नत्रच शतशः श्रीऊशवालग्रहणि सम्यग् जिनधर्म प्रतिबोध्य सर्वश्राद्ध समाचारी क्षणेन च पतमश्राद्धी कृतानि तत्रच ग्रामग्रामणी भद्रकब दानशुरत्वादि ग्रणी
तयशः प्रसर कपूर पूर सुभिकृत ब्रह्मांड भांड: शा वयरसिकः सकुटुम्बः 'गुरूगा तथा प्रतिबोधितो यथा तेन धधरशा शिवापेथा प्रभृति समवहितेन योपाश्र यः श्रीतपागण धर्मराजधानीव चक्रे तथा श्रीगुरूपदेशेनैव गुजर धरित्रयाः लातक्षकानाकार्य श्रीसम्भवनाथ प्रतिमा कारिता शा वय रसिकेन तत्सुतेनशा एयरनाम्ना मूलनायक श्री आदिनाथ प्रतिमा 2 शावीज्झाख्येन 3 श्रीविमलनाथ तिमाच कारिता तत्प्रतिष्ठा तृशा0 वयरसिकेनैव द0 1657 वर्षे माद्यसित 10
मे श्रीतपागच्छ नायक भट्टारक श्रीविजयसेन सूरिपरमगुरूणा मादेशाधस्यमव गुरु । विवेकहर्ष गणिकरेणेव कारिताः तदन्नत रमेषप्रसादोडप्यस्मद गुरूपदेशेनैन फाल्गुना त 10 सुमहत ऊबएस गच्छे भट्टारक श्री कक्कमूरि बांधत श्री आनन्दकुशल श्राद्धन शवाल ज्ञातीय पारिषिगौत्रे शा0 वीरापुत्र डाहापुत्र जेठापुत्र शा० खाखण पुत्र
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