Book Title: Mohan Sanjivani Author(s): Rupchand Bhansali, Buddhisagar Gani Publisher: Jinduttsuri Gyanbhandar View full book textPage 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रस्तावना musinn महानुभावो ! परमसुविहित खरतरगच्छ विभूषण वीसमी शताब्दी के महान् शासन प्रभावक क्रियोद्धारक स्वनामधन्य श्रीमन्मोहनलालजी महाराज के नाम से शायद ही भारतवासी और खास कर जैन समाज का कोइ मनुष्य अपरिचित होगा। आपका जीवन चरित्र योंतो गुर्जर अनुवाद सह संस्कृत में कभी का छपा है, परंतु साधारण जनता उसका यथेष्ट उपयोग नहीं कर सकती। इसी कारण को लेकर महाराजश्री के प्रशिष्यरत्न थाणातीर्थोद्धाराद्यनेकविध शासनप्रभावक महान् तपस्वी आचार्यवर्य श्रीमान जिनसिरिजी महाराज के परम विनीत शिष्यरत्न प्रशांत स्वभावी श्रीमान् गुलाबमुनिजी महाराज की यह भावना हुइ कि-हिंदी भाषा में संक्षिप्ततया महाराजश्री के चरित्र को प्रकाशित किया जाना परमावश्यक है। इसी भावनानुसार उन्हीं की प्रेरणा से संप्राप्त अनेक सद्सद्गृहस्थों की उदार सदायता से यह चरित्र पाठकों के करकमलों में उपस्थित किया जा रहा है। For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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