Book Title: Mohan Sanjivani
Author(s): Rupchand Bhansali, Buddhisagar Gani
Publisher: Jinduttsuri Gyanbhandar

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Page 87
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 118ISTURBials श्री जिनदत्तसूरि ब्रह्मचर्याश्रम परमपवित्र तीर्थाधिराज श्री सिद्धाचलजी महातीर्थ की शीत छाया में अखिल जैन समाज के महान् उपकारी अपने पवित्र जा देश द्वारी एक लाख तीस हजार अजैनों को जैन धर्म में संमिलि करनेवाले समपूज्य जंगमें युगप्रधान दादा गुरुदेव श्री जिनदत्तसूरिजी महाराज के नाम से अंकित उपरोक्त संस्था को अवश्य याद करिये और अपने घर संबंधी प्रत्येक प्रसंग में इस पवित्र संस्था को यथाशक्ति सहायतारूप भेट देकर, पुण्य व यश का Serving JinShasan gyanmandir@kobatirth.org - सैट ने की योजना :रु. 503) नियत तिथि के रोज मिष्टान्न भोजन / रु. 301) नियंत तिथि को क. 151) नियत तिथि को रु. 41) प्रतिवर्ष देनेवाले को मिष्टान भोजन। 098635 रु. 31) प्रतिवर्ष देनेवाला थको एक टंक का सादा भोजन / क. 25) प्रतिवर्ष देनेवाले की ओरसे नियत तिथिको एक टंक का सादा भोजन। रु. 11) प्रतिवर्ष देनेवाले के नामसे नियत तिथिको सुबह दुध और खाखरा। रु. 251) से ज्यादा रकम देनेवाले सद्गृहस्थ का नाम आरस की तख्ती पर लिखा जायगा / Aisssssssss 1016SSERSures1001000000RRENT 165156IGHESIBIBUTELUGUDDRESS30014ssssssaa For Private and Personal Use Only

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