Book Title: Manan aur Mulyankan
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 2
________________ मनन का प्रयोजन है स्थूल से सूक्ष्म की ओर जाना । अतीत की अभिसंधि परोक्ष के साथ जुड़ी हुई है। चिन्तन के कण पूरे आकाश-मण्डल में बिखरे पड़े हैं। उनकी उपलब्धि का उपाय हैमनन और मूल्यांकन । मनन और मूल्यांकन में अतीत के साथ संपर्क स्थापित करने का एक विनम्र आयास है। विषय की गहराई में डुबकी लगाने वालों के लिए विषय-वस्तु मन की सीमा से परे नहीं होगी। Jain Education International For Private & Personal Use Only

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