Book Title: Malva me Jain Dharm Aetihasik Vikas
Author(s): Tejsinh Gaud
Publisher: Z_Munidway_Abhinandan_Granth_012006.pdf

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ मालवा में जैनधर्म : ऐतिहासिक विकास २४६ (ग) पंचसंग्रह-विक्रम सं० १०७३ में मसूतिकापुर वर्तमान मसूदबिलोदा में जो धारा के समीप है, बनाया गया था। (घ) उपासकाचार (च) आराधना सामायिक पाठ (छ) भावनाद्वात्रिंशतिका (ज) योगसारप्राभूत । जो उपलब्ध नहीं हैं, वे ग्रन्थ हैं(१) जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति (२) चन्द्रप्रज्ञप्ति (३) सार्धद्वयद्वीपप्रज्ञप्ति (४) व्याख्याप्रज्ञप्ति । (७) माणिक्यनन्दी-ये धारा निवासी थे और वहाँ दर्शनशास्त्र का अध्ययन करते थे। इनकी एकमात्र रचना 'परीक्षामुख' नाम का एक न्यायसूत्र ग्रन्थ है जिसमें कुल २०७ सूत्र हैं । ये सूत्र सरल, सरस और गम्भीर अर्थ के द्योतक हैं। (८) नयनन्दी-ये माणिक्यनन्दी के शिष्य थे। इनकी रचनायें-(१) सुदर्शनचरित-एक खण्ड काव्य है, जो महाकाव्यों की श्रेणी में रखने योग्य है। (२) सकलविहिविहाण-विशाल काव्य है। इसकी प्रशस्ति में इतिहास की महत्वपूर्ण सामग्री प्रस्तुत की गई है। उसमें कवि ने ग्रन्थ बनाने के प्रेरक हरिसिंह मुनि का उल्लेख करते हुए अपने पूर्ववर्ती जैन, जेनेतर और कुछ समसामयिक विद्वानों का भी उल्लेख किया है। समसामयिकों में श्रीचन्द्र, प्रभाचन्द्र और श्रीकुमार का उल्लेख किया है। राजा भोज, हरिसिंह के नामों के साथ बच्छराज और प्रभुईश्वर का भी उल्लेख किया है। कवि ने वल्लभराज का भी उल्लेख किया है जिसने दुर्लभ प्रतिमाओं का निर्माण कराया था। यह ग्रंथ इतिहास की दृष्टि से अत्यन्त महत्व का है। कवि के दोनों ग्रन्थ अपभ्रंश भाषा में हैं। (e) प्रभाचन्द्र-माणिक्यनन्दी के विद्या-शिष्यों में प्रभाचन्द्र प्रमुख रहे। ये माणिक्यनन्दी के 'परीक्षामुख' नामक सूत्र ग्रन्थ के कुशल टीकाकार हैं। दर्शन साहित्य के अतिरिक्त ये सिद्धान्त के भी विद्वान थे। आपको भोज के द्वारा प्रतिष्ठा मिली थी। आपने विशाल दार्शनिक ग्रन्थों के निर्माण के साथ-साथ अन्य अनेक ग्रंथों की भी रचना की। इनके ग्रंथ इस प्रकार हैं (१) प्रमेयकमलमार्तण्ड-दर्शनग्रंथ है जो कि माणिक्यनन्दी के परीक्षामुख की ___ टीका है । यह ग्रंथ राजा भोज के राज्यकाल में लिखा गया । (२) न्यायकुमुदचन्द्र-न्याय विषयक ग्रंथ है। (३) आराधना कथाकोश-गद्य ग्रंथ है। (४) पुष्पदंत के महापुराण पर टिप्पणी। (५) समाधितंत्र टीका (ये सब राजा जयसिंह के राज्यकाल में)। (६) प्रवचनसरोजभास्कर। (७) पंचास्तिकायप्रदीप (८) आत्मानुशासन तिलक । (९) क्रियाकलाप टीका। (१०) रत्नकरण्ड टीका। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18