Book Title: Mahaviracharya krut Ganitasar Sangraha
Author(s): Alexzander Volodraski
Publisher: Z_Deshbhushanji_Maharaj_Abhinandan_Granth_012045.pdf

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Page 13
________________ यदि तीनों राशियाँ, जो कि x +yi- समीकरण के उपयुक्त हों, तब समीकरण इस प्रकार होगा : mxz+ny, +pz=R इस स्थिति में प्रणाली का हल इस प्रकार है : xxl_R - R R rxv1 y=Y1 rx1y1 ZlR xiy इसी विधि से महावीर निम्नलिखित प्रश्न हल करते हैं। "एक आयत का क्षेत्रफल उसके परिमाप के बराबर है। उसकी भजाओं का माप बताओ।" [9, VII, 115] “एक आयत का क्षेत्रफल उसके विकर्णों के माप के बराबर है। उसकी भुजाएँ किसके बराबर हैं ?" [9, VII, 11511 पहले प्रश्न में प्राप्त समीकरण प्रणाली इस प्रकार है : Sx+y== । 2x+2y=xy, दूसरे में, S xi+yl=z z=xy a-b2, 2ab, t+b° को पाइथेगोरस संख्याएँ मानते हुए पहली समीकरण प्रणाली का हल इस प्रकार होगा : 2 (a-b)+4ab 2(a-b2)+4ab 2ab - 2 (a-b)+4ab . 2ab (d-b3) (2-2), और दूसरी प्रणाली का हल, a+be d +bp (a+b) 2ab , - b 2ab (a-b2) महावीर, भास्कर द्वितीय और नारायण ने कई उदाहरण दिये हैं जो कि तीसरे घात के अनिश्चित समीकरण बनाते हैं। उदाहरण के लिए, महावीर के अनुसार अंकगणित श्रेढ़ी के योगफल से पहले पद, पदों की संख्या और श्रेढ़ी का अंतर ज्ञात किया जा सकता है । इस प्रश्न का हल 3 अज्ञात राशियों वाले अनिश्चित समीकरणों से प्राप्त होगा । _s= [+ dy-1)]... हल करने का नियम इस प्रकार है : योगफल को उसके किसी भी भाजक से, जो कि पदों की संख्या होगा, विभाजित करो। स्वेच्छ संख्या को भागफल से घटाओ, घटाने पर जो संख्या आएगी वह पहला पद होगी। प्राप्त अंतर कुल पदों की संख्या के आधे से विभाजित, जो कि 1 से घटाया गया , श्रेढ़ी का अंतर कहलाता है। [9, VII,78] जैन प्राच्य विद्याएं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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