Book Title: Mahavira Charitam Author(s): Gunchandrasuri Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund View full book textPage 9
________________ स्पष्टं चेदं ग्रन्थप्रशस्तौ, तथाहिएयस्स विरयणंमी निब्बंधो जेसि गाढमुप्पन्नो । ते पुण मूलाओ चिय साहिलंते निसामेह ॥ ६ ॥ सियजसजोण्हाधवलियनायकुलनहयले मयंकुव्व । पुव्वमहेसि महेसीपणओ सिरिजीवदेवपहू ॥६१ ॥ तस्स सुसिस्सो सिद्धंतसिहसुविसिहसंजमामिरओ । गुणरयणरोहणगिरी पयडो जिणदत्तसूरीति ॥ १२॥ गंभीरिमाए पसमेण बुद्धिविभवेण दक्खिणत्तेण । सुंदरनएण जेसि कोऽवि न तुलो जए जाओ ॥ ६३ ॥ तेहितो पडिबुद्धो 'वायड'कुलभवणजयपडायनिभो । कप्पडवाणिजपुरे सेट्ठी गोवद्धणो आसि ॥ ६४ ॥ नंदीसरावलोयणमणाण भव्वाण दंसणत्थं च । कारावियं सुतुंगं बावन्नजिणालयं जेण ॥६५॥ धम्मधरणीए गिहिणीए तस्स सोढित्ति नामधेयाए । अगणियगुणगणनिलया पुत्ता चत्तारि उपना ॥ ६६ ॥ पढमो अम्मयनामो बीओ सिद्धोत्ति जजणागो य । तइओ चउत्थओ पुण विक्खाओ नन्नओ नाम ॥ ६७ ॥ नयविणयसञ्चधम्मत्थसीलकलिएहिं जेहिं दिवहिं । नूणं जुहिढिलाईवि सद्दहिजंति सप्पुरिसा ॥ ६८ ॥ अह संथारयदिक्खं पवजिउं भावसारमंतमि । गोवद्धणंमि सग्गं गयमि तह पढमपुत्तढुगे ॥ ६९॥ सो सेट्टी जजणागो छत्तावल्लीए वासमकरिंसु । सव्वकणिठो नन्नयसेट्ठी पुण मूलठाणेवि ॥ ७० ॥ तेसिं च भइणिपुत्तो नियपुत्ताओवि गाढपडिबंधो । आसि जसणागनामो सेट्ठी सुविसिद्वगुणनिलओ ॥ ७१ ॥ अह नन्नयस्स पुत्ता पयडा सावित्तिकुच्छिसंभूया । दोनि चिय उप्पन्ना गोवाइचो कवड्डी य ॥ ७२ ॥ BARDEVELOPMENTPage Navigation
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