Book Title: Mahavaggatthakatha
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 427
________________ [३८] दीघनिकाये महावग्गट्ठकथा ब्यगा-८६ भङ्गस्स-८६ ब्यग्यो-३०४,३०५ भत्तकिच्चं-२,४४, ५८,६०,७१, २०० ब्याकरणं- १२० भत्तकिलमथो-२०३ ब्याधिधम्मो-२९२ भत्तपरिळाहो-३३२ ब्याधिधम्म-२९२ भत्तमुच्छा-२०३, ३३२ ब्यापादोति-११९ भत्तसम्मदो-२०३,३३२, ३३३ ब्रह्मआयु-२९८ भत्ताभिहारोति-२०२ ब्रह्मकायिकाति-८९ भद्दकप्पे-४,५ ब्रह्मगरुका-५१ भद्दन्तेति-२५३ ब्रह्मचरियन्ति-१३०,१३८,२१४,२७० भद्दयुगं-९ ब्रह्मचारी-२९६,३११ भद्दियत्थेरो-२९५ ब्रह्मदण्डकथापि-१६५ भद्रानि-११८ ब्रह्मदत्तो-२२९ भमकारो-३१८ ब्रह्मपुरोहितन्ति-२६९, २७१ भमुकन्तरेति -३७ ब्रह्मपुरोहितसरीरं-२६९, २७१ भयपरितस्सना-२३० ब्रह्मलोके-२३६, २४३, २४४, २५६, २६८, २६९, भयसा -५२ २९६ भरतो-२२९ ब्रह्मविहारा-२३० भरियपरिच्छेदो-१४ ब्रह्मसम्पत्तिं-१९,५६,७३ भवक्खयस्स-३०० ब्रह्मस्सरोति-३७ भवगामिकम्म-१३२ ब्रह्मायु ब्राह्मणो-६ भवग्गगहणत्थं-३५२ ब्रह्मजुगत्तोति-३४ भवङ्गचित्तानि-८२ ब्राह्मणगहपतिका-१९८ भवङ्गे-१०६ ब्राह्मणगामोति-२६० भवङ्ग-१६७ ब्राह्मणपरिसन्तिआदीनम्पि-१३५ भवतण्हा-८७, ३५० ब्राह्मणमहासाला-१५९ भवदिट्ठीति-८७ ब्राह्मणमहासालो-१५३ भवनेत्ति-११९ ब्राह्मणोति-१७९, २२७ भवरागसंयोजनं-३३७ भवरागानुसयं-७५ भवसङ्खारकर्म-१३२ भवसङ्खारन्ति-१३१,१३२ भगवतोति-३०१ भवोति-७९ भगवाति -६०, १२८, १३०, १६१, १७१, १७३, भस्सारामो-१०६ १७८, २०५, २२१, २२५, २२६, २४०, २४१, | भाजनभावतो-३११ २४५, ३१८ भातरगाम-११२ भगिनिचित्तं-१५६ भायनलक्खणेन-१०७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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