Book Title: Magar Sacha Kaun Batave
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 226
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पत्र २४ २१५ अलग सूर्य दिखता है। वैसे आत्मा का ज्ञानगुण एक है, भिन्न-भिन्न ज्ञेय पदार्थों में परिणत होने से ज्ञानगुण भी अनेक होंगे! और ज्ञान अनेक तो आत्मा भी अनेक माननी पड़ेगी! तो फिर आत्मा स्वरूप निजपद] में रमणता कैसे करती है? आत्मा [द्रव्य] एक [एकत्व] हो, गुण [ज्ञान] एक हो.... तो ही शान्ति से [खेम] निज पद में रमणता हो सकती है। ज्ञेय अनंत हैं। उनको जाननेवाला ज्ञान भी अनंत मानना पड़ेगा.... तो फिर आत्मा एक कैसे रहेगी? एक आत्मा अनेक हो जाय और स्व-रूप में रही हुई आत्मा पर-रूप बन जाय.... तो आत्मरमणता नहीं हो सकती है। यह बात कविराज ने 'द्रव्य' की दृष्टि से कही, अब 'क्षेत्र' की दृष्टि से कहते हैंपर क्षेत्रे गत ज्ञेयने जाणवे पर क्षेत्रे थयुं ज्ञान अस्तिपणुं निज क्षेत्रे तुमे कह्यु, निर्मलता गुमान.... ___ एक क्षेत्र में एक जगह रही हुई आत्मा दूसरे क्षेत्र में रहे हुए पदार्थों को [ज्ञेयने] जाने, तो वह ज्ञान परक्षेत्रीय बन गया न? और जिनेश्वरों ने तो स्वक्षेत्र में [निश्चित स्थान में आत्मा का अस्तित्व बताया है, तो फिर आत्मरमणता [निर्मलता] का अभिमान [गुमान] कैसे टिक सकेगा? ज्ञेय पदार्थ का क्षेत्र अनंत है। उन ज्ञेयों को जाननेवाली आत्मा उस ज्ञेयस्वरूप बन जायेगी.... पररूप में परिणत होने पर स्वरूप में रमणता कैसे होगी? __[जिस पदार्थ को आत्मा जानती है, आत्मा उस पदार्थ में परिणत होती हैऐसा सिद्धांत है | पदार्थ को जानने के लिये आत्मा को तद्रूप होना पड़ता है।] द्रव्य और क्षेत्र की दृष्टि से चर्चा करने के बाद अब इसी विषय की 'काल' की दृष्टि से चर्चा आगे बढ़ाते हैंज्ञेय-विनाशे हो ज्ञान विनश्वरु, काल प्रमाणे रे थाय *स्वकाले करी स्वसत्ता सदा, ते पर रीते न जाय.... * जैसे आठ बजे आपके हाथ में एक फल है, इस फल के लिये आठ बजे का समय 'स्वकाल' है, परंतु सवा आठ बजे का समय पर-काल है। स्वकाल नष्ट होने पर उस फल को भी नष्ट मानना होगा और उस फल के ज्ञान को भी नष्ट मानना होगा। ज्ञान नष्ट हुआ तो उससे अभिन्न आत्मा भी नष्ट हुई माननी पड़ेगी! चूंकि हर पदार्थ की सत्ता कालदृष्टि से स्वकाल में ही मानी गई है। For Private And Personal Use Only

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