Book Title: Lokvibhag
Author(s): Sinhsuri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 301
________________ २४४1 कोकरिभाषः कुशवर १४८ २८ १४५ पृष्ठ| शब्द ९६ खण्डप्रपात ४, ९ गृहभेद कुलशल ३७ खरभाग १४५ गोक्षीरफेन ७२ गगनचरी ३ गोत्रनाम कूटशाल्मली १६३ गगननन्दन ४ गोपुर १८६ कूष्माण्ड १६६, १७४ गगनवल्लभ ४ गोमेदा १३४ कृतकृत्य २२० गच्छ - १५१ गोरुत १०३, १५६ कृत्तिका १०४, १२५, १२८ गज १७७ गौतम कृषि ९७ गजदन्त २१ गौतम देव कृष्ण १२५, १६१ गणित १५१ गौतमद्वीप कृष्णराजि ७९, २११, २१६ गणिका १७२, २०७ ग्रह १०२, १२५ कृष्णलेश्या १६० | गति १६०, २२० ग्राहवती २२ कृष्णा १४०, १९३ गन्ध ७६ | अवेयक १७४, १७६ केतु १२५ गन्धमादन १९,२० घट केतुमती १६७ गन्धमालिनी २२, २३ घटिका केतुमाल ___४ गन्धमालिनीकूट २० घटी १२८ केशव ९७, १०१ गन्धर्व ३१, १२८, १६६, १६७ घनानिल केसरी १६९, १७२ घनोदधि १४६ कैलास ४ गन्धर्वपुर धर्मा १४५, १६०, २०९ कौरव २० | गन्धवती ९/घाटा १४८ कौस्तुभ गन्धवान् ७३ कौस्तुभाभास ५२ गन्धा २३ घृतमेष १०० क्रोश १६५/गन्धिक १७४ घृतवर क्रौंचवर ७२ गन्धिला २३ घोष १३६, १३७ क्षायिक ज्ञान २२३ गम्भीर १६८ चक्र १७७, १८६, १८७ क्षायिक दर्शन २२३ गरुड १७७ चक्रधर क्षायिक वीयं २२३ गरुडध्वज ३ चक्रभृत् क्षायिक सम्यक्त्व ९५, २२३ गरुडेन्द्रपुर ७० चक्रवर्ती २३, १६१ क्षारोदा गर्दतोय २११ चक्रा क्षीर ७३ | गर्भगृह ३७ चक्री क्षीरवर ७२ गव्यूति चक्षुष्मान् क्षुल्लक मेरु ६३ गंगा १०, २४ चक्षुस्पर्शन क्षेप १०८, १०९ गंगाकूट | चतुर्थभक्त क्षेमपुरी ३,२४ गंगातोरण चतुर्मुखी क्षेमंकर ३, ८८ गिरिकन्या चन्दना क्षेमंधर ८९ गिरिकुमार चन्द्र क्षेमा २४ गिरिशिखर ४ चन्द्र (शशी) क्षौद्रवर गीतयश १६७ | चन्द्र ८१, १०२, १७५, १७७, खटा १४८ गीतरति १६७, १९५ १८२, २२५ खटिक गुणसंकलित खड्गा २४ गुरु १०२ चन्द्रमास २२ २४ ७५, ९० ८० For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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