Book Title: Lokvibhag
Author(s): Sinhsuri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 303
________________ २४८) लोकविभागः पृष्ठ शब्द ५३ देवारण्य १६ दैत्य दकगिरि दकवास दक्षिण दक्षिण ऐरावतार्थ दक्षिणश्रेणी दक्षिणायन दक्षिणार्ध कूट दक्षिणेन्द्र दण्ड दधिमुख दर्शन दशपूर्वधर दातृक दामश्री दामेष्टि दिक्कुमार दिक्कुमारी दिक्सुरस्त्री दिग्गजेन्द्र दिग्वासी पृष्ठ। शब्द २६ नरकान्ता ५३ देह १६७ नरकान्ताकूट १२८ नरगीत ९ द्युति १३२ नलिन ८०,९०,९७, १७७ ३ द्वीपकुमार १३५ नलिनकूट १२१ धनपाल १६८ नलिन गुल्मिका ४ धनंजय ४ नलिना २३, ३३, ३६ १९४, १९५ धनिष्ठा १२६ नलिनांग १५६ धरण १४४/ नवमिका ७८ धरणानन्द १३६, १३७ नवमी १६८, १९३. १५९, २०९ धरिणी ४ नाग ५१, १७७ १८४ धर्म ९७ नागकुमार धर्मास्तिकाय २२० नागकुमारी १७० धातकी १०५/नागमाल १९५/धातकीखण्ड १४, ५५, ६०, ७२ नागयक्ष १३५ धातकीजगती ११३ नागरमण १२, ३२, ७०, ८० | धारिणी ४) नागवर ८० धूम १२५ नाभि १९ धमप्रभा १४५ नाभिगिरि ८ नाभिपर्वत १२८ | ध्यान १८४ नाभिराज ४/ नक्षत्र (भ) १०२ नारद नन्दन ३२, ४०, १८७ नारी ८१ | नन्दनवन २६, ३०, ६४, ६६ नारीकूट नन्दनी १६७ | निगोद २२४ नन्दवती ७७, ८० | नित्यवाहिनी ० नन्दा ७७, ८०, १८९, २१७ नित्यालोक | नन्दावती १८९ नित्योद्योत ७६ नित्योद्योतिनी नन्दिषेण ७७, ८० निदाघ ८३, १०१ नन्दी ७६ निरय नन्दीश्वर ७२ निरुद्धा १४ नन्दीश्वरवर ७६ निरोधा १५५ नन्दोत्तरा ७७, ८० निर्ग्रन्थ १८४ ३७, ३८ नन्दघावर्त १७७ निषध २, १८, ३२, ७४, ८७, १२९ नपुंसक १५९ निषधकूट नयुत ९२, ९७ निसृष्टा १५५ ७२ नयुतांग ९२, ९७ नीचदेवता १७७ नरक १४५ नीचोपपातिक १७४ धृतिकूट दिन दिव्यतिलक दिशाकन्या दिशाकुमारी दिशागजेन्द्रकूट दीप्ततप दुग्धमेघ १५५, ४ नन्दिप्रभ दुर्धर दुःखा दुःषमा 0 0 0 दुःषमासुषमा देवकुरु देवकौरव देवच्छन्द देवमाल देवरमण देववर देवसमिति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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