Book Title: Lokprakash Part 02
Author(s): Padmachandrasuri
Publisher: Nirgranth Sahitya Prakashan Sangh

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Page 5
________________ → चौदहराजूलोक रत्नप्रभा पृथ्वी का दल पाकादल १८००00 योजन में रवाली१०योजन/ / आठवाण व्यन्तर/ निकाय वाली० योजन सिध्द सिब्द शिला १४ अनुत्तर विमान .. ग्रैवेयकदेव वाली२००या० .. Tound । २ आठव्यन्तर 4 निकाय ETEETHOM w ०० योजन मरवाली १०० योजन 06-खाली १९५८३६ योजन प्रत्येक प्रतर ३००० योजन । सनाड़ी LEU किल्विषिक -- र्द्ध----लो---का · सात नारक भूमियाँ ९से तक FERNAL लो-क ---तिर्य लोक अ-धो ० ० for rm 30 x w o nwa दश भवन पतियों के निकाय ० M १ ८ रवाली २ रवाली १०००यो.

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