Book Title: Lok
Author(s): Narayanlal Kachara
Publisher: Narayanlal Kachara

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Page 6
________________ Andromeda Galaxy ... Galaxy Milkyway Galaxy Swayambhuraman Ocean Swayambhuraman Island Pushkarwar Ocean Kalodaka Ocean Dhatiki Khand ushkarwar Island Lavana Jambu ( dweep Ocean Dhatiki Khand Kalodaka Ocean Pushkarwar Island Pushkarwar Ocean Swayambhuraman Island Swayambhuraman Ocean 6 +--A Mt. Manushotar Inummerable (Last) घातकी खण्ड नामक दूसरे द्वीप में क्षेत्र, कुलाचल मेरू, नदी आदि समस्त पदार्थों की रचना जम्बूद्वीप से दूनी दूनी है। पुष्करार्द्ध द्वीप में भी जम्बूद्वीप की अपेक्षा सब रचना दूनी दूनी है। पुष्करवर द्वीप का विस्तार 16 लाख योजन है, उसके ठीक बीच में चूड़ी के आकार का मानुषोत्तर पर्वत पड़ा हुआ है, जिससे इस द्वीप के दो हिस्से हो गये हैं । पूर्वार्ध में सब रचना धातकी खण्ड के समान है और जम्बूद्वीप से दूनी दूनी है मानुषोत्तर पर्वत के पहले अर्थात् अढ़ाई द्वीप ( जम्बूद्वीप घातकी खण्ड और पुष्करवर के पूर्वार्ध को मिलाकर अढ़ाई द्वीप होते हैं। ) में ही मनुष्य होते हैं। मानुषोत्तर पर्वत के आगे ऋद्धिधारी मुनिश्वर तथा विद्याधर भी नहीं जा सकते। आर्य और म्लेन्छ के भेद से मनुष्य दो प्रकार के होते हैं। जो अनेक गुणों से सम्पन्न हों तथा गुणी पुरुष जिनकी सेवा करे उन्हें आर्य कहते हैं जो आचार विचार से भ्रष्ट हों तथा जिन्हें धर्म-कर्म का कुछ विवेक न हो उन्हें म्लेन्छ कहते हैं पाँच भरत पाँच ऐरावत और देव कुरु T उत्तरकुरू को छोड़कर पाँच विदेह, इस तरह अढाईद्वीप में कुल 15 कर्म भूमियाँ हैं। जहाँ पर असि, मसि, कृषि, वाणिज्य, विद्या और शिल्प इन छह कर्मो की प्रवृति हो उसे कर्म भूमि कहते हैं । | जम्बूद्वीप - सब द्वीप समुद्रों के बीच थाली के समान गोल और एक लाख योजन विस्तार वाला जम्बूद्वीप है । इस जम्बूद्वीप में भरत, हैमवत, हरि, विदेह, रम्यक, हैरण्यवत और ऐरावत ये क्षेत्र हैं । उन सात क्षेत्रों का विभाग करने वाले पूर्व से पश्चिम तक लंबे हिमवत् महाहिमवत निषध, नील, रूक्मिन और शिखरिन ये छह वर्षघर कुलाचल पर्वत हैं। ये पर्वत क्रम से सुवर्ण, चांदी, तपा हुआ सुवर्ण, नील मणि, चांदी और सुवर्ण के समान वर्ण वाले हैं। उन पर्वतों के उपर क्रम से पदम, महापदम, तिगिच्छ, केशरिन्, महापुण्डरीक और पुण्डरीक नाम के हृद-सरोवर हैं। गंगा, सिन्धु, रोहित, रोहितास्या, हरित् हरिकान्ता, सीता, सीतोदा, नारी, नरकान्ता, सुवर्णकूला, रूप्यकूला और रक्ता, रक्तोदा ये चौदह नदियाँ जम्बुद्वीप के पूर्वोक्त सात क्षेत्रों के

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