Book Title: Leshya Dwara Vyaktitva Rupantaran Author(s): Shanta Jain Publisher: Z_Jaganmohanlal_Pandit_Sadhuwad_Granth_012026.pdf View full book textPage 4
________________ Jain Education International सारणी ४. वर्णों या लेश्याओं का शास्त्रीय एवं वैज्ञानिक विवरण कृष्ण नील शुक्ल पीला १५८ ५० जगन्मोहनलाल शास्त्री साधुवाद ग्रन्थ नीला श्वेत For Private & Personal Use Only कापोत पीत, तेजस पद्म १. वर्ण समकक्षता (वैज्ञानिक) कृष्ण नील आकाश-नील लाल सफेद २. लक्षण क्रूर, हिंसक ईष्यालु, स्वार्थी, वक्र, मायावी नम्र, पापमीरु उपशांत शांत, क्षुद्र, लोलुपी अल्पकषायो जितेन्द्रिय, ध्यानी ३. वर्ण (श्वेतांबर मान्यता) अंजन, खंजन वैडूर्य, अशोक आदि अलसी-पुष्प, गेरू, तरुणसूर्य हरताल, हल्दी दुग्धधारा, शंख , आदि १७ काले १९ प्रकार के नीले कोयल पंख आदि ९ आदि २४ प्रकार आदि २३ प्रकार के आदि ५ पदार्थों के पदार्थों के समान पदार्थों के समान प्रकार के पदार्थों के के पदार्थों के पदार्थों के समान के समान काला समान भूरा समान लाल पीला (काला + लाल) ४. वर्ण (दिग० मान्यता) भ्रमर के समान काला मयूर कंठ-सा नीला कबूतर के समान स्वर्ण-सा पीला पद्म-सा लाल शंख-सा श्वेत बन कटु चिरायते के समान कषायला खटमीठा मधु मिष्ट गुड़ के समान तीखा मीठा ६. गंध दुर्गंध सुगंध सुगंध ७. स्पर्श शोत, रुक्ष शीत, रुक्ष शीत, रुक्ष उष्ण, स्निग्ध उष्ण, स्निग्ध उष्ण, स्निग्ध ८. तत्व आकाश वायु आकाश पृथ्वी जल ९. प्रकृति क्रोधभावना भक्तिभावना तकंभावना कामवासना शान्ति १०. मन पर प्रभाव मोह, असंयम, क्रूरता ईर्ष्या, असहिष्णुता वक्रता, कुटिलता कषायनाशन सरलता, शांति, की वृत्ति की वृत्ति की वृत्ति वृत्ति विनम्रता जितेन्द्रियता ११. शरीर पर प्रभाव स्नायु-दौर्बल्य नाश, मस्तिष्कशक्ति, स्नायुमंडल में गाढ़निद्रा आमाशय रोग नाश रोग नाशन स्फूर्ति १२. प्रकृति पर प्रभाव अस्वस्थता शीतलता-संचार शीतलता अल्प ऊष्मावर्धक ऊष्मावक समप्रकृति दुगंध दुगंध सुगंध तेजस www.jainelibrary.orgPage Navigation
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