Book Title: Labhoday Ras Vachna Biji Bhumika Author(s): Shilchandrasuri Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 7
________________ March-2004 कल्याणकुशलपंडित जयउ, सकल पंडित सरि लीह । दयाकुशल तसु पय नमी, सफल करइ निज जीह ॥८॥ चउपई ॥ विनय विवेक विचार सुजाति, कहीइ देस चतुर गूजराति । तिहां रायधनपुर नयर प्रसिद्ध लोक वसई पुन्यवंत समृद्धि ॥९॥ तिहां गुरु गुणवंत करइ चउमासि, पूरइ भविजन केरी आस । श्रीगुरु हीर जेसंगजी वली, दूधमांहिं जिम शाकर भली ॥ १० ॥ तिहां सोहइ गुरु-गुरु की जोडि, मंगल महानंद होवइ कोडि । आवइ निति निति श्री संघ थोक, श्रीगुरुतेजि सुखी सहु लोक ॥११॥ दूहा || अवसरि इणइ अति बली, अकबर साह सुलतान । श्रीगुरु रंगि बोलावीआ, ते सुणो भविक सुजान ॥ १२ ॥ ढाल ॥ राग देशाख ॥ अतिहठी अकबरसाहि कहावइ, दूजो दुनिभई उपम कोई नावइ । कोउ नाहीं अकबर बलि पूजइ, नाम सुणत वयरी तन धूजइ । दूरि कीआ वयरी मद मोड, विषम लीउ जेणई कोट चितोड । कुंभलमेर अजमेर समाणो, जोधपुर जेसलमेर जाणो || १३ || जुंनो गढ लीउ सूरति कोट, भरूअचिकोट लीउ एकदोट । मांडवगढ लीउ बल मांडी, हाडा गया रणथंभर छांडी ॥१४॥ लीउ शीआलकोटि रोहीतास, अनेक विषमगढ पार न जास । सो लीआ अकबर एक निशाण, हवइ सुणो देसनां नांम सुजाण ॥ १५ ॥ ढाल || राम गोडी || गोड बंगाल तिलंग वंग अंग घोड़ा घाट दुलखोडीसु खंधारदेस जाकी विसमी वाट । कामरु कमता बलष देस परवत सवालाख Jain Education International 333 मगध कासी कास्मीर देस तिहां झाझी दाख ||१६|| For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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