Book Title: Kundakunda Bharti
Author(s): Kundkundacharya, Pannalal Sahityacharya
Publisher: Jinwani Jirnoddharak Sanstha Faltan

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Page 479
________________ भक्तिसंग्रह पावागिरिवरसिहरे, सुवण्णभद्दाइ मुणिवरा चउरो । चेलणाणईतडग्गे, णिव्वाणगया णमो तेसिं । । १३ ।। चेलना नदी तटपर पावागिरिके उत्कृष्ट शिखरपर सुवर्णभद्र आदि चार मुनिराज मोक्षको प्राप्त हुए । उन्हें नमस्कार हो । । १३ ।। 1 ३८३ फलहोडीवरगामे, पच्छिमभायम्मि दोणगिरिसिहरे । गुरुदत्ताइ मुणिंदा, णिव्वाणगया णमो तेसिं । । १४ ।। फलहोडी नामक उत्कृष्ट ग्रामके पश्चिम भागमें द्रोणगिरिके शिखरपर गुरुदत्त आदि मुनिराज निर्वाणको प्राप्त हुए। उन्हें नमस्कार हो । । १४ ।। णायकुमारमुणिंदो, वालिमहावालि चेव अज्झेया । अट्ठावयगिरिसिहरे, णिव्वाणगया णमो तेसिं । । १५ ।। नागकुमार मुनिराज, वाली और महावाली कैलास पर्वतके शिखरपर निर्वाणको प्राप्त हुए। उन्हें नमस्कार हो । । १५ ।। अच्चलपुरवरणयरे, ईसाणभाए मेढगिरिसिहरे । आहुट्टयकोडीओ, णिव्वाणगया णमो तेसिं । । १६ । अचलपुर (एलिचपुर) नामक उत्कृष्ट नगरकी ऐशान दिशामें मेढ़गिरि (मुक्तागिरि) के शिखर पर साढ़े तीन करोड़ मुनिराज मोक्षको प्राप्त हुए। उन्हें नमस्कार हो । । १६ ।। १. २. 'वंसत्थलम्मि णयरे, पच्छिमभायम्मि कुंथगिरिसिहरे । कुलदेसभूसणमुणी, णिव्वाणगया णमो तेसिं । । १७ ।। वंशस्थल नगरके पश्चिम भागमें स्थित कुंथगिरि (कुंथलगिरि) के शिखरपर कुलभूषण देशभूषण मुनि निर्वाणको प्राप्त हुए। उन्हें नमस्कार हो । । १७ । । जसहररायस्स सुआ, पंचसया कलिंगदेसम्मि | कोडिसिला कोडिमुणी, णिव्वाणगया णमो तेसिं । । १८ । । यशोधर राजाके पाँचसौ पुत्र और एक करोड़ मुनि कलिंग देशमें स्थित कोटिशिलासे निर्वाणको प्राप्त हुए। उन्हें नमस्कार हो । । १८ ।। 'पासस्स समवसरणे, गुरुदत्तवरदत्तपंचरिसिपमुहा । रिस्सिंदीगिरिसिहरे, णिव्वाणगया णमो तेसिं । । १९ । । वंसत्थलवरणियडे इति पाठान्तरम् । 'पासस्स समवसरणे सहिया वरदत्तमुणिवरा पंच' इति पाठान्तरम् ।

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