Book Title: Kundakunda Bharti
Author(s): Kundkundacharya, Pannalal Sahityacharya
Publisher: Jinwani Jirnoddharak Sanstha Faltan

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Page 478
________________ ३८२ ___ कुंदकुंद-भारती 'रामहणूसुग्गीवो, गवयगवक्खो य णील महणीला। णवणवदीकोडीओ, तुंगीगिरिणिव्वुदे वंदे।।८।। राम, हनूमान, सुग्रीव, गवय, गवाक्ष, नील, महानील तथा निन्यानवे करोड़ मुनिराज तुंगी पर्वतसे , निर्वाणको प्राप्त हुए, उन्हें वंदना करता हूँ।।८।। अंगाणंगकुमारा, विक्खापंचद्धकोडिरिसिसहिया। सवण्णगिरिमत्थयत्थे, णिव्वाणगया णमो तेसिं।।९।। अंग और अनंगकुमार साढ़े पाँच करोड़ प्रसिद्ध मुनियों के साथ सोनागिरिके शिखरसे निर्वाणको प्राप्त हुए, उन्हें नमस्कार हो।।९।।। दसमुहराअस्स सुआ, कोडीपंचद्धमुणिवरे सहिया। रेवाउहयतडग्गे, णिव्वाणगया णमो तेसिं।।१०।। दशमुख राजा अर्थात् रावणके पुत्र साढ़े पाँच करोड़ मुनियोंके साथ रेवा नदीके दोनों तटोंसे मोक्षको प्राप्त हुए, उन्हें नमस्कार हो।।१०।। रेवाणइए तीरे, पच्छिमभायम्मि सिद्धवरकूडे। दो चक्की दह कप्पे, आहुट्ठयकोडि णिव्वुदे वंदे।।११।। रेवा नदीके तीरपर पश्चिम भागमें स्थित सिद्धवरकूटपर दो चक्रवर्ती, दस कामदेव और साढ़े तीन करोड़ मुनिराज निर्वाणको प्राप्त हुए, उन्हें नमस्कार करता हूँ।।११।। वडवाणीवरणयरे, दक्खिणभायम्मि चूलगिरिसिहरे। इंदजियकुंभकण्णो, णिव्वाणगया णमो तेसिं।।१२।। वडवानी नगरके दक्षिण भागमें स्थित चूलगिरिके शिखरपर इंद्रजित् और कुंभकर्ण निर्वाणको प्राप्त हुए, उन्हें नमस्कार हो।।१२।। १. रामो सुग्गीव हणुओ इति पुस्तकान्तरे पाठः। २. गंगाणंगकुमारा कोडिपंचद्ध मुणिवरा सहिया। सुवण्णवरगिरिसिहरे णिव्वाणगया णमो तेसिं ।।९।। इति पाठान्तरम्। ३. अन्यत्र पुस्तके त्वेवं पाठः रेवातडम्मि तीरे दक्खिणभायम्मि सिद्धवरकूडे। आहुट्ठयकोडीओ णिव्वाणगया णमो तेसि ।। रेवातडम्मि तीरे संभवणाथस्स केवलुप्पत्ती। आहुट्ठयकोडीओ णिव्वाणगया णमो तेसिं ।।

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