Book Title: Kundakunda Bharti
Author(s): Kundkundacharya, Pannalal Sahityacharya
Publisher: Jinwani Jirnoddharak Sanstha Faltan
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३९६
गाथा
१७०
२९२
चउविह अणेयभेयं चारित्त पडिणिबद्ध चेया उपयडिअटुं
१६३
छिज्जदु वा भिज्जदु वा छिददि भिंददि य तहा छिंददि भिंददि य तहा
२०९ २३८ २४३
गाथा पृष्ठ २९१ १०४
१०४ १९६ ८५ १०८ ६७ १९५ . ८५ ३५२ ११६ ३४९ ११६ ३५१ ११६ ३५० ११६ ३५४ ११६ ३५६ ११७ ३५७ ११७
११७
१३९ २८९
३५८ ३५९
0
ur
११७
5
३३५
११४
३३८
११४
४०३
१२३
कुंदकुंद-भारती पृष्ठ
जह बंधे चिंतंतो जह बंधे छित्तूण य जह मज्जं पिवमाणो जह राया ववहारा जह विसमुव जंतो
जह सिप्पिओ उ कम्मफलं ९४ जह सिप्पिओ उ कम्म
जह सिप्पिओ उ करणाणि जह सिप्पिओ उ करणेहि जह सिप्पिओ उ चिट्ठ जह सेडिया दु जह सेडिया दु जह सेडिया दु जह सेडिया दु जम्हा कम्मं कुव्वइ जम्हा घाएइ परं जम्हा जाणइ णिच्चं जम्हा दु अत्तभावं
जम्हा दु जहण्णादो ११२ जं कुणइ भावमादा
जं कुणइ भावमादा जं भावं सुहमसुहं जं सुहमसुहमुदिण्णं
जा एस पयडी अटुं ५२ जावं अपडिक्कमणं ७५ जाव ण वेदि विसेसंतरं
जिदमोहस्स दु जइया १०४ जीवणिबद्धा एए ११७ जीवपरिणामहेदूं ११७
जीवम्हि हेदुभूदे ११७ जीवस्स जीवरूवं
जीवस्स जे गुणा केइ जीवस्स णस्थि केई जीवस्स णस्थि रागो
जीवस्स णत्थि वग्गो १०१ जीवस्स णत्थि वण्णो
८६
६२
१७१
८०
९१
१८४ ३२५ ३५५ ११३
११६
१२६
जइ जीवेण सह च्चिय जइ णवि कुणई छेदं जइया इमेण जीवेण जइया स एव संखो जदि जीवो ण सरीरं जदि पुग्गलकम्ममिणं जदि सो परदव्वाणि य जदि सो पुग्गलदव्वी जया विमुंचए चेया जह कणयमग्गितवियं जह कोवि णरो जंपड़ जह चिट्ठ कुव्वंतो जह जीवस्स अणण्णुवओगो जह णवि सक्कमणज्जो जह णाम कोवि पुरिसो जह णाम कोवि पुरिसो जह णाम कोवि पुरिसो जह णाम कोवि पुरिसो जह णाम कोवि पुरिसो जह परदव्वं सेडदि जह परदव्वं सेडदि जह परदव्वं सेडदि जह परदव्वं सेडदि जह पुण सो चिय जह पुण सो चेव णरो जह पुरिसेणाहारो जह फलिहमणी सुद्धो
१०२
१२१
३८५ ३१४ २८५
११०
६९
९४
१७ ३५ १४८ २३७ २८८ ३६१ ३६२ ३६३ ३६४ २२६
३३ ७४ ८०
६० ६१
११७
२४२
८२
१७९ २७८

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