Book Title: Khartarvaccha Sahitya Suchi Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta Publisher: Z_Manidhari_Jinchandrasuri_Ashtam_Shatabdi_Smruti_Granth_012019.pdf View full book textPage 7
________________ सैद्धान्तिक-प्रकरण १ अध्यात्म अनुभव योगप्रकाश चिदानन्द द्वि० १६५५ जावद २ अध्यात्मप्रबोध देवचन्द्रोपाध्याय P/. दीपचन्द्र १८वीं मु. अ० हितविजय पं० पाणेराव, नकल अभय बीकानेर -अ० ३ अध्यात्मशान्तरसवर्णन, ४ अनुयोग चतुष्क गाथा ५ अनेक शास्त्रसार समुच्चय जिनप्रभसूरि P/, जिनसिंहसूरि १४वीं, सहजकीति P/. हेमनन्दन १७वीं, उरलेख-जैन साहित्यनो सं० इतिहास देशाई मु० अ. हरि लोहावट मु० विनय १५५, पाल ३३७' मु. पणक अ० हरि लोहावट, जेसलमेर आचार्यशाखा बीकानेर ६ अल्पाबहुत्वभितस्तव स्वोपज्ञटीकासह समयसुन्दरोपाध्याय P/. १७वीं ७ अष्टकर्मविचार रामचन्द्र P/. शिवचन्द्रोपाध्याय १६वीं, ८ आगम अष्टोत्तरी अभयदेवसूरि P/. जिनेश्वरसूरि १२वीं, ६ आगमसार (देवचन्द्रीय अनुवाद) चिदानन्द द्वि० २०वीं, देवचन्द्रोपाध्यायP/, दीपचन्द्र १७७६ मरोट ११ आगमिकवस्तुविचारसार जिनवल्लभसूरि P/. अभयदेवसूरि १२वी, प्रकरण (षडशीति) १२ , टिप्पणक रामदेवगणि P/. जिनवल्लभसूरि ,, १३ ईर्यावही मिथ्यादुष्कृत- राजसोम P/. जयकीर्ति १८वीं, बालावबोध (जिनसागरसूरिशाखा) १४ उदयस्वामित्व पंचाशिका देवचंद्रोपाध्याय P/ दीपचंद्र १८वीं, १५ उदययन्त्र सुमतिवर्द्धन P/. विनीतसुन्दर १६वी १६ एकविंशतिस्थानकप्रकरण अवचूरि धर्ममेरुP/. चरणधर्म १६७६ पूर्व १७ , स्तवन विमलकीर्ति P/. विमलतिलक १७वीं, १८ कर्मग्रन्थ (तृतीय) विवरण जिनकीर्तिसूरि १९वीं, (जिनसागरसूरिशाखा) १६ कर्मग्रन्थ पञ्चक स्तबक देवचन्द्रोपाध्याय P/. दीपचंद्र १८वीं, २० कर्मग्रन्थ स्तबक साधुकी ति P/. अमरमाणिक्य १७वीं, अ० ख० जयपुर विनय कोटा विनय ३०६ अ० जेनरल पुस्तकालय अ० महरचंद भं, बीकानेर अ० आचार्यशाखा, बीकानेर मु० अ० नाहर कलकत्ता, आचार्य शाखा बीकानेर, अ. विनय ६८८ २१ कर्मग्रन्थ चतुष्टय-स्तबक. साधुकीर्ति P/. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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