Book Title: Khartarvaccha Sahitya Suchi
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Z_Manidhari_Jinchandrasuri_Ashtam_Shatabdi_Smruti_Granth_012019.pdf

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Page 22
________________ स्तबक । २२ ) २२ कुमार संभव चारित्रवर्द्धन P/. कल्याणराज लघुखरतर १६वीं मु० हेमचन्द्र भंडार बीकानेर २३ , , जिनभद्रसूरि ? १५वीं अ० २४ , ,, जिनसमुद्रसूरि P). जिनचन्द्रसूरि लघुखरतर १६वीं अ० डेक्कन कॉलेज २५ लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय P/. लक्ष्मीकोत्ति १७२१ सूरत अ० महिमा बी० ह० लो० वि० ६०१ , , समयसुन्दरोपाध्याय १७वीं अ० २७ कृष्णरुक्मिणीवेली टीका श्रीसार P/. रत्नहर्ष १७०३ अ० गोविन्द पुस्तकालय बीकानेर , बालावबोध कुशलधोर P/. कल्याणलाभ १६६६ अ० बड़ा भंडार बीकानेर २६ , जयकीर्ति P/. हर्षनन्दन १६८६ बीकानेर अ० अभय बीकानेर ३० , , लक्ष्मोवल्लभ P/. लक्ष्मीकीर्ति १८वीं अ० पुण्य अहमदाबाद, १७५० लि. दानधर्म PI. कमलरत्न १७२७ अ० महिमा बीकानेर शिवनिधानोपाध्याय १६८६ अ० सेठिया बीकानेर ३३ 'खचराननपश्य सखे खचर' काव्यअर्थत्रयी श्रीवल्लभोपाध्याय P/. ज्ञानविमल १७वीं उल्लेख निघंटुशेष टीका भूमिका ३४ खण्डप्रशस्ति (हनुमत्कृता) टीका गुणविनयोपाध्याय P/. जयसोम १६४१ फलवद्धि मु० संपादक विनयसागर ३५ गायत्री विवरण जिनप्रभसूरि P/. जिनसिंहसूरि १४वीं मु० ३६ गीतासार टीका गुणविनयोपाध्याय P/. जयसोम १७वीं उल्लेख-'नलचम्पू' प्रस्तावना-नन्दकिशोर ३७ गौतमीयमहाकाव्य रामविजयोपाध्याय P/. दयासिंह १८०७ जोधपुर मु० विनय ५५१, बाल ३३८ ३८ ., टीका उ० क्षमाकल्याण P/. अमृतधर्म १८५२ जेसलमेर मु० विनय ५५१, बाल ३३८ ३६ चंद चौपाई समालोचना (मोहनविजयकृता) ज्ञानसार P/. रत्नराज १८७७ बीकानेर अ० ४० चन्द्रदूतम् विमलकीति P/. विमलतिलक १६८१ मु. अभय बीकानेर विनय ८ ४१ चन्द्रविजय मंत्रि-मण्डन P/. बाहड १५वीं ४२ चम्पूमण्डन मु० ४३ चाणिक्यनीति-स्तबक लाभवर्द्धन P/. शान्तिहर्ष १८वीं अ० बालापुर भंडार ४४ जयन्तविजय महाकाव्य अभयदेवसूरि मुद्रपल्लीय: १२७८ ४५ जिनसिंहसूरिपदोत्सवकाव्य समयसुन्दरोपाध्याय १७वीं अ. प्रतिलिपि अभय बोकानेर (रघुवंशद्वितीयसर्गपादपूर्तिः) ४६ तत्वप्रबोधनाटक जिनसमुद्रसूरि P/. जिनचन्द्रसूरिबेगड १७३० अ० ४७ तृणाष्कम् समयसुन्दरोपाध्याय १७वीं ४८ दमयन्तोकथाचम्पू टीका गुणविनयोपाध्याय P/. जयसोम १६४६ सेहणा अ० रामावि जोधपुर प्रेकॉपी विनय ४६ द्वयाश्रय महाकाव्य स्वोपज्ञ टोकासह जिन प्रभसूरि P/. जिनसिंहसूरि १३५६ अ० जेसलमेर, हरि लोहावट ५० द्वयाश्रयमहाकाव्य टीका हेमचन्द्रीय (संस्कृत) अभयतिलकोपाध्याय P/. जिनेश्वरसूरि द्विः १३१२ पालमपुर मु. ५१ द्वयाश्रयमहाकाव्य टोका हेमवन्द्रीय (प्राकृत) पूर्ण करा ?/. जिनेश्वरसूरि द्वि० १३०७ मु० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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