Book Title: Khartarvaccha Sahitya Suchi
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Z_Manidhari_Jinchandrasuri_Ashtam_Shatabdi_Smruti_Granth_012019.pdf

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Page 39
________________ १५ जन्मपत्री पद्धति रत्नजय P/. रत्नराज १८वीं० मानमल कोठारी बीकानेर लब्धिचन्द्र P/. कल्याणनिधान १७५१ महिमा बीकानेर १७ जन्मपत्री विचार श्रीसारोपाध्यय P/. १७वीं० आचार्यशाखा भं० बीकानेर १८ जन्मप्रकाशिका ज्योतिष की त्तिवर्द्धन (केशव) P/. दयारत्न आद्यपक्षीय १७वीं० मेडता वृद्धि जेसलमेर १६ जोइसहीर (ज्योतिसार ) हीरकलश P/. हर्षप्रभ १६२१ पं० भगवानदास जयपुर, नाहर क० २० ज्योतिषचतुर्विशिका अवचूरि साधुराज P/. १६वीं. अभय बीकानेर २१ ज्योतिषरत्नाकर महिमोदय P/ मतिहंस १७२२ अ० २२ ज्योतिषसार ठ० फेस S/. चन्द्र १३७२ मुद्रित २३ दीक्षाप्रतिष्ठाशुद्धि समयसुन्दरोपाध्याय १६८५ लूणकरणसर २४ नरपतिजयचर्या टीका पुण्यतिलक P. हर्षनिधान १८वीं० हरिलोहावट २५ पञ्चाङ्गानयनविधि महिमोदय P/. मतिहंस १७२३ महरचन्द भं० बीकानेर २६ प्रेमज्योतिष १८वीं० राप्राविप्र जोधपुर २७ भुवनदीपक बालावबोध । रत्नधीर P/ ज्ञानसागर १८०६ पं० भगवानदास जयपुर २८ , , लक्ष्मी विनय P/ अभयमाणिक्य १७६७ अ० २६ मुहूर्तमणिमाला रामविजयोपाध्याय P/ दयासिह १८०१ बालोतरा भंडार ३० भौधरी नहसारणी भूधरदास P. रंगवल्लभ जिनसागरसूरि शाखा १८२७ अभय बीकानेर ३१ लघुजातक टीका भक्तिलाभ P/. रत्नचन्द्र १५७१ बीकानेर महिमा बीकानेर ३२ विवाहपटल अर्थ विद्याहेम १८३० वर्द्धमान भं० बोकानेर ३३ , बालावबोध अमर P/. सोमसुन्दर १८वीं अभय बीकानेर ३४ , भाषा अभयकुशल P/. पुण्यहर्ष अभय बीकानेर हरिलोहावट ३५ , ,, रामविजयोपाध्याय P/. दयासिंह १७वी. अभय बीकानेर ३६ जातकपद्धति व्याख्या जिनेश्वरसूरि P. बड़ोदा इन्स्टीट्यूट २८०५ ३७ शकुन रत्नावली-वर्द्धमानसूरि P/. अभयदेवसूरि उ०-जे. सा. वृ० इ० भाग ५ पृ० १६८ ३७A शकुनविचार दोहा P/. लक्ष्मीचन्द्र इंगर जेसलमेर ३८ षटपञ्चाशिका वृति बालावबोध महिमोदय P/. मतिहस १८वीं चारित्र राप्राविप्र बीकानेर ३६ सामुद्रिक भाषा रामचन्द्र P/. १७२२ अ. ४० स्वरोदय चिदानंद (कपूर चन्द्र) P7. चुन्नीजी १६०७ मु० सेठिया बीकानेर ४१ स्वरोदय भाषा लाभवर्द्धन (लालचन्द, शान्तिहर्ष १७५३ - महिमा-रामलाल जी बीकानेर ४२ होरकलश (जोइसहीर) हीरकलश P/. हर्षप्रभ १६५७ मु. भावहर्ष भंडार ४३ होरावबोध लब्धोदय P/. ज्ञानराज अभय बीकानेर ४४ सईकी जयचन्द P/. विनयरंग १७७१ मद्रित कांतिसागरजी १८वी० १२वीं १८वीं १८वीं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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