Book Title: Khartarvaccha Sahitya Suchi
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Z_Manidhari_Jinchandrasuri_Ashtam_Shatabdi_Smruti_Granth_012019.pdf

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Page 26
________________ [ २६ १ अ० हरिलोहावट १४२ सारङ्गसार टीका हंसप्रमोद P / हर्षचन्द्र १४३ सूक्तिमुक्तावली जिनवर्द्धमानसूरि पिप्पलक १६६२ १७३६ उदयपुर अ० सरस्वती भंडार उदयपुर १४४ सूक्तिरत्नावली स्वोपज्ञ टीका क्षमा कल्याणोपाध्याय P / अमृतधर्म १८४७ मकसूदाबाद ख० जयपुर १४५ स्थूलभद्रगुणमाला महाकाव्य सूरचन्द्र P / वीरकलश १६८० संग्रामनगर सांगानेर अ० वेश० जोध० घाणेराव १४६ स्वर्णाक्षरी कल्पसूत्रलेखन प्रशस्तिः शिवसुन्दर P / क्षेमराज १६वीं १४७ साधुसोम P / सिद्धान्तरुचि १४८ सभाकुतूहल कुशलधीर P / . कल्याणलाभ १४६ समस्यापूर्तिश्लोकादिपद्य १८ १५० समस्यापूर्ति स्फुटपद्याः समयसुन्दरोपाध्याय धर्मवर्द्धन P / विजयहर्ष ( संस्कृत ३८, भाषा ३५ पद्य ) " १५१ समस्याष्टकम् 11 71 समय सुन्दरोपाध्याय ( कल्पसूत्रान्तर्गत) Jain Education International पूर्णभद्रगणि P / जिनपतिसूरि क्षमा कल्याणोपाध्याय P / अमृतधर्म वर्द्धमानसूरि P / अभयदेवसूरि 19 १० उत्तमकुमार चरित्र ११ १२ उपमितिभवप्रपञ्च कथासमुच्चय वर्द्धमानसूरि १३ कथा कोष समयसुन्दरोपाध्याय मेरुसुन्दरोपाध्याय P / रत्नमूत्ति १६वीं गुणसमृद्धिमहत्तरा १५२४ पाटण १८वीं १७वीं काव्य-कथा-चरित्र १ अञ्जना सुन्दरी कथा २ चरित्र .. १४०६ जेस ० १२८२ ३ अतिमुक्तक चरित्र मु० ४ अम्बडचरित्र ५ आदिनाथचरित्र १८५४ पाली० मु० विनय कोटा ३९४ ११६० खंभात अ० हरि लोहावट १८वीं ६ ७ १५वीं ७ आदिनाथ व्याख्यान वादीहर्षनन्दन P / समयसुन्दर १७वीं ८ आरामशोभा कथा जिनहर्षसूरि P / जिनचन्द्रसूरि पिप्पलक १५३७ हंस P / जिनचन्द्रसूरि पिप्पलक चारुचन्द्र P / भक्तिलाभ £ १६वीं सुमतिवर्द्धन P / विनीतसुन्दर ज्ञाननिधान P / मेघकलश जिनसागरसूरि पिप्पलक १७ १७वीं १८वीं ܝܕ १६वीं १६वीं ११वीं मु० नाहर कलकत्ता अ० तपा भंडार जैसलमेर अ० आचार्यशाखा भंडार बीकानेर मु० मु० For Private & Personal Use Only मु० अ० सिद्धक्षेत्र सा० मं० पालीताणा २०४६ अ० जेसलमेर भंडार अ० अभय बीकानेर अ० विनय ९७५ अ० 11 मु० १६६७ मरोट अ० विनय कोटा अपूर्ण A अ० १४ कथाकोषप्रकरण स्वोपज्ञ टीका जिनेश्वरसूरि P / वर्द्धमानसूरि ११०८ डीडवाना मु० १५ कथारत्नकोष देव भद्रसूरि P / सुमतिवाचक ११५८ भरुच मु "7 "" लींबडी भंडार अ० कान्ति छाणी अ० अ० बी० सं० १५७१ स्वलि० विनय ३०१ अ० हरि लोहावट www.jainelibrary.org

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