Book Title: Khartarvaccha Sahitya Suchi Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta Publisher: Z_Manidhari_Jinchandrasuri_Ashtam_Shatabdi_Smruti_Granth_012019.pdf View full book textPage 5
________________ ५६ १८वीं अ० कल्पसूत्र हिन्दी अनुवाद जिनमणिसागरसूरि २०वीं मु० कल्पसूत्रगत वचनिकाम्नाय जिनसागरसूरि, जिनसागरसूरिशाखायां १७वीं, उल्लेख जिनरलकोष, कल्पान्तर्वाच्य जिनसमुद्रसूरि, बेगड, १८वीं अ० वृद्धि० जेसलमेर जिनहससूरि P/. जिनसमुद्रसूरि १६वीं अ० डूंगर, जेसलमेर भक्तिलाभोपाध्याय P/. रत्नचन्द्र १६वीं अ० विनय, कोटा ४५ ३५६६ चतुःशरणप्रकीर्णक बालावबोध मुनिमेरु १७वीं अ० तपाभंडार, जेसलमेर जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति टीका पुण्यसागरोपाध्याय P/. जिनहससूरि १६४५ जेसलमेर अ० हरि, लोहावट ५५ ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र टीका अभयदेवसूरि १२वीं, मु० कस्तूरचन्द्र P/. भक्तिविलास, १८६६ जयपुर अ० सेठिया बीकानेर विनय, कोटा ५७ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र स्तवक रत्नजय P/. रत्नराज अ० पालणपुर ५८ दशवकालिकसूत्र टीका समयसुन्दरोपाध्याय १६६१ खंभात मु० ५६ , पर्याय (४ अध्याय मात्र) , १७वीं अ० अभय, बीकानेर , बालावबोध राजहंस P/. हर्षतिलक १६वीं ६१ , स्तवक 'दीपिका' चारित्रचन्द्र P/. जयरंग लघुखरतर १७२३ अ० विनय ५८५ विमलकीत्ति P/. विमलतिलक १६५२ अ० हरि, लोहावट सहजकीर्ति (यतीन्द्र ?) P. हेमनन्दन १७११ ६४ , हिन्दी अनुवाद जिनमणिसागरसूरि २०वीं ६५ दशाश्रुतस्कन्ध सूत्र टीका सुबोध' मतिकीत्ति P/- गुणविनयोपाध्याय १६६७ अ० जैन स्थान लु धयाना ६६ निशीथसूत्र अर्थ सहजकी त्ति P/, हेमनन्दन १७वीं अ. जैन भवन, कलकत्ता ६७ नन्दीसूत्र मलयगिरि टीमोपरिटीका श्रीजिनचारित्रसूरि P/. २०वीं श्रीपूज्यजी, बीकानेर ६८ पञ्चनिन्थी टीका अभयदेवसुरि १२वीं (प्रज्ञापना तृतीयपद संग्रहणो) ६६ ,, बालावबोध मेरुसुन्दरोपाध्याय P7. रत्नमूत्ति १६वीं अ० नाहर, कलकत्ता १६४५ लि. ७० पाक्षिकसूत्र बालावबोध विमलकीत्ति P/. विमलतिलक १७वीं अ० ७१ प्रतिक्रमणसूत्र स्तवक रत्लजय P/. रत्नराज १८वीं अ० दान० बीकानेर विमलकीत्ति P/. विमल तिलक १७वीं अ० आचार्य बीकानेर केशरिया जोधपुर ७३ , बालावबोध (वन्दित्तुसूत्र) सहजकीर्ति १७०४ अ० हरि, लोहावट स्तवक मु० म० ७२ " " Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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