Book Title: Kavyanushasanam Satikam
Author(s): Kashinath Sharma
Publisher: Kashinath Sharma

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Page 360
________________ पृष्ठाङ्काः १२४ १६६ ३४ २१९ १२ १७४ س . س م ... १४८ mr wr कथमवनिप (टी.) ... कदा नौ संगमो... ... कनककलश ... ... कपाटविस्तीर्ण ... ... कपोले जानक्या (टी.)... कपोले जानक्या (टी.)... कपोलफलका ... ... कमनेकतमादा (टी.) ... कमलदलैरधरैः ... ... कमलिनीमिलि (टी.) ... कर किशलयं करभाः शरभाः (टी.) ... करिष्यसे यत्र (टी.) ... करिहस्तेन संवा... करुणरसप्राय .., करेण ते रणे ... करोषि तास्त्व (टी.) कर्कन्धूनां ना (टी.) ... कर्कन्धुफलमु ... कर्कोट: कोटि (टी.) कर्णाभ्यर्ण (टी.) कर्ता द्यूतच्छ (टी.) कर्तुमक्षमया (टी. कर्पूर इव... ... कर्पूरचूर्ण' (टी.) कर्पूरधूलिध (टी.) कलिकलुष (टी.) कलुषं च तवा ... कल्लोलवेल्लि ... कश्चित्कराभ्या ... कश्चित्कराभ्या ... कष्टा वेधव्यथा ... कस्त्वं भोः कथ (टी.) ... पृष्ठाकाः २८ | कस्माद्भारत (टी.)... | कस्सिन्कर्मणि ... ७६ कस्स व न होइ... काङ्क्षन्पुलोमत (टी.) | काझ्याः पूरो (टी.) कातर्यकेवला कान्ते तल्प ... कामं भवन्तु (टी.) कामे कृतमदा (टी.) कायं खाइइ ... का विसमा ... | काश्मीरीगा (टी.) । काष्टानिमेषो (टी.) काहमस्मि गुहा (टी.) किं करोमि क्व ... २१२ | किं किं सिंह ... २२४ किं गौरि मां ... किंचिद्वच्मि न ... ( किं ददातु कि ... | किं लोभेन वि (टी.) किं वृत्तान्तैः | किमानेनाय (टी.) किमपि किमिह (टो.) २७१ किमपि किमपि... किमपेक्ष्य फलं... | किमीहः किं का (टी.) किमुच्यतेऽस्य ... कियतापि यत्र (टी.) कियन्मानं ज (टी.) किशलयमिव ... २९७ | कीर्ति स्वर्गफ (टी) १४५ कुन्दे मन्दस्त (टी.) २५९ / कुमुदकमल ... ... :::::::::::::::::::::::::: WW. KG ०८ :::::::::::::::::::::::::::::::: :::::::::::::::::::::::::::::::: :10. न्तिः ... १८० . . Surs v vr ... ९१ . २५६

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