Book Title: Kavyanushasanam Satikam
Author(s): Kashinath Sharma
Publisher: Kashinath Sharma

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Page 369
________________ ३ با س س ११ م م पृष्टाकाः पृष्ठाङ्काः मण्डलेन तु य ... ... ... ३२८ माद्यन्मतङ्गः (टी.) ... ... १३२ मध्नाति कौरव ... ... १०८ माधवाय नम (टी.) ... ... मदमन्थर (टी) १० मा धाक्षीन्मा (टी.) ... ... १३८ मदश्चतः श्या (टी.) | माननापरुषं (टी.) मदं नवैश्वर्य (टी.) ... मानमस्या नि (टी.) मदान्धमातङ्ग (टी.) ... मा पान्थं ... ... ... मदो जनयति ... ... |मा भवन्तम (टी.) ... मधुसुरभिणि (टी.) ... | मा भवन्तम (टी.) ... मध्ये जम्बूद्वी (टी.) ... मा भैः शशाङ्क (टी.) ... मनुष्यवृत्त्या ... ५५ मामभीदा शरण्या (टी) । मनोऽधिकं चात्र .... | मायावित्तं महा (टी) ... मनोरोगस्तीनं ... ... ८९ मायेन्द्रजाल ... ... मन्थायस्तार्णवा ... ... २०४ मारारिशक ... ... मन्दाकिनीसैकत ... | मालतीविमुख (टी) ... ... मम दृष्टस्य राजेन्द्र (टी.) २०० | मालायमान (टी.) मरकतसदृशं (टी.) ... मासि मासि (टी.) मरुबकदमन (टी.) ... | मीनध्वजस्व (टी.) मल्लिकामाल ... ... मुक्ताः केलिवि (टी.) महतां त्वं श्रि (टी.) ... ... २२४ | मुक्तालताश्च (टी.) ... ... १३३ महर्धिनि... ... ... मुक्तिभुक्तिकृ ... ... महानवम्यां (टी.) ... १३१ | मुखं विकसित (टी.) ... १०७ महाप्रलयमा ... १६३ मुदे मुरारेरम (टी.) ... महासुरसमाजे (टी.) ... ... १५ | मुमूर्षोः किं तवा (टी.) १० महिलासहस्स ... ... १०८ मुह्यन्मुहु ... ... महुएहिम् ... ... | मूनी जाम्बव ... ... महेश्वरो वा (टी) १९९ मूर्धामुद्धृत्य ... मा गर्वमुद्रह ... १०२ | मूलैक्यं यत्र (टी.) मा गाः पाताल (टी.) १२३ मृगरूपं परि (टी.) मा गाः पान्थ (टी.) मृगलोचनया ... मातङ्गाः किमु ... १६९ मृदुपवनविभि ... माता नतानां ... ... २२० । मृधे निदाघज्ञ ... मात्सर्यमुत्सार्य ... ... १८६ मेघश्यामेन (टी.) १३ माद्यदिग्गज (टी.) ... १८१ | मेरूरुकेशर ... ... १४ ::::::::::::::::::::::::::::::::: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: م سه و १३६ ० ० or २४३

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