Book Title: Karmprakrutau Uday
Author(s): Yashovijay, Malaygiri
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
तासां सप्तचत्वारिंशत्प्रकृतीनां मिथ्यात्वस्य चोक्तशेषौ विकल्पो जघन्योत्कृष्टरूपौ द्विविधौ साद्यधुवमेदात् , तौ च भावितावेव । शेषाकर्मप्रकृतिःणामध्रुवोदयानां प्रकृतीनां दशोत्तरशतसंख्यानां सर्वे विकल्पा जघन्याजघन्योत्कृष्टानुत्कृष्टरूपा द्विविधाः, तद्यथा-सादयोऽध्रुवाश्च । सा उदयः च साद्यध्रुवताऽध्रुवोदयत्वादवसेया ।।७।।
एकादशगु॥८॥
शाणश्रेणयः इयाणि सामित्तं भन्नति । तंदुविहं-उक्कोसपदेसुदयसाभित्तं, जहन्नपदेसुदयसामित्तं च। तत्थ पुव्वं उक्कोसपदेसुदयसामित्तं [चरिथोव भन्नति । उक्कोससामित्तपरूवणेति एकारसगुणसेढीओ परवेयब्बातोसम्मत्तुप्पतिसावयविरए संजोयणाविणासे य। दंसणमोहक्खवगे कसायउवसामगुवसंते ॥८॥
खवगे य खीणमोहे जिणे य दुविहे असंखगुणसेढी। उदओ तविवरीओ कालो संखेजगुणसेढी ॥९॥3 ॐ (चू०)–संमत्तुप्पत्तिगुणसेढी, सावयगुणसेढी, संजयगुणसेढी य, अणंताणुबंधिविसंजोयणागुणसेढी, सण
मोहक्खयगुणसेढी,चरित्तमोहउवसामणगुणसेढी,उवसंतकसायगुणसेढी, खवगगुणसेढी,खीणमोहस्स गुणसेढी, सजोगिकेवलिगुणसेढी, अजोगिकेवलीगुणसेढि । असंखगुणसेढी उदतोत्ति-सम्वत्थोवं संमत्तुप्पायसेढीते दलियं, सावगगुणसेढीते असंखेजगुणं, जाव सजोगिकेवलीगुणसेढीतो अजोगिकेवलीगुणसेढीते दलियं असंखेजगुणं, 10 तम्हा उदयंपि पडुच असंखेजगुणा एव । 'तविवरीओ कालो संखेजगुणसेढी'त्ति-कालं पडुच्च विवरीयातो।
॥८॥ सम्बत्थोवो अजोगिकेवलीगुणसेढीकालो, सजोगिकेवलीगुणसेढीकालो संखेजगुणो। एवं जाव सम्मत्तुप्पत्तिगुण-14
ADDROIROO
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 ... 319