Book Title: Karmagrantha Karmaprakruti Panchasangraha
Author(s): Hemchandracharya Granthamala Ahmedabad
Publisher: Hemchandracharya Granthamala Ahmedabad
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२७३
इयरावि किंतु अभवी उव्वलग अपुवकरणेसु ॥१०१ अणुभागपएसाणं सुभाणं जा पुव्वमित्थ इयराण। उक्कोसियरं अभविय एगिंदी देससमणाए ॥१०२॥
॥ इति उपशमनाकरणम् ॥
॥ अथ निद्धत्तिनिकाचनाकरणम् ॥ देसुवसामणतुल्ला होइ निहत्ती निकायणा नवरिं। संकपणंपि निहत्तीए नस्थि सवाणि इयरीए ॥१॥ गुणसेटीपएसग्गं थोवं उवसामियं असंखगुणं । एवं निहयनिकाइय अहापवत्तेण संकेत ॥२॥ ठितिबंध उदोरण तिविहसंकमे हेोतिऽसंखगुणकमसा। अज्झवसाया एवं उवसामणमाइएसु कमो ॥३॥ ।' इत्यष्टौ करणानि ॥ समाप्तः कर्मप्रकृतिसङ्ग्रहः ॥
. ॥ अथ सप्ततिकासङ्ग्रहः ।। मूलुत्तरपगईणं साइअणाईपरूवणाणुगयं । भणियं बंधविहाणं अहुणा संवेहगं भणिमो ॥१॥
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