Book Title: Karmagrantha Karmaprakruti Panchasangraha
Author(s): Hemchandracharya Granthamala Ahmedabad
Publisher: Hemchandracharya Granthamala Ahmedabad

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Page 282
________________ २७७ एक्का य नवसयाइं सहाई एवमुदयाणं ॥ २७ ॥ बारस चउरोतिदुएक्कगाओ पंचाइ बन्धगे उदया। अबन्धगे वि एको तेसीया नवसया एवं ॥२८॥ चउबन्धगे वि बारस दुगोदया जाण तेहि बूढे हिं। बन्धगभेएणेवं पंचूणसहस्समुदयाणं ॥२९॥ बारस दुगोदएहिं भंगा चउरो य संपराएहिं । सेसा तेञ्चिय भंगा नवसयछावत्तरा एवं ॥३०॥ मिच्छाइ अप्पमत्तंतयाण अ65 इंति उदयाणं । चउवीसाओ सासणमीसअपुवाण चउचउरो ॥३१॥ चउवीस गुणा एए बायरसुहमाण सत्तरसअन्ने । सम्वेसु वि मोहुदया पण्णहा बारससयाओ ॥३२॥ उदयविगप्पा जे जे उदीरणाए वि हुंति ते ते उ। अंतमुहुत्तिय उदया समयादारब्भ भंगा य ॥३३॥ मिच्छत्तं श्रणमीसं चउरो चउरो कसाय वा सम्मं । ठाइ अपुटवे छक्कं वेयकसाया परे तओ लोभो ॥३४॥ अगसत्तगछक्कग चउतिगदुगएकगाहिया वीसा। तेरस बारेकारस संते पंचाइ जा एक्कं ॥३५॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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