Book Title: Karmagrantha Karmaprakruti Panchasangraha
Author(s): Hemchandracharya Granthamala Ahmedabad
Publisher: Hemchandracharya Granthamala Ahmedabad
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२९३ अट्ठ एक्क एक्कग भंगा अट्ठारदेवजोगेसु । एको नारयजोगे एको जसकित्तिभंगाओ ॥ ४ ॥ तेरस सहस्सनवसय पणयालभंगयाण बन्धम्मि । नामस्स उदयसंखा पणयालहत्तरिसयाओ ॥ ५॥ एगिदिय उदएसु पंच य एक्कार सत्ततेरसयं । छक्कं कमसो भंगा बायाला हुंति सव्वे वि ॥६॥ तिगतिगदुगचउच्चउ विगलाण च्छसहि होइ तिण्हंपि अट्टष्ट सोलसोलस अ6 घेउव्वितिरियस्त ॥७॥ नव नव सीया दोसय पंचच्छावत्तरीय पणतिरिए । ते दुगुणतिगुणदुगुणा गुणतीसाइसु उदएसु ॥८॥ नवनव सीया दोसय च्छावत्तर पञ्चपञ्च उदयदुगे । एक्कारस्स य बावन्न नराण उदएसु भंगसया ॥९॥ अड अड नव नव एक्के वेउव्विनराण होइ पणतीसा एक्केक्कदोदुगेक्के आहारजईण सत्तेव ॥१०॥ अहह अह सोलस सोलट्ठय देवओ य भंगाओ। नारयकेवलिउदएसु पञ्चबावहिभंगाओ ॥११॥
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