Book Title: Karmagrantha Karmaprakruti Panchasangraha
Author(s): Hemchandracharya Granthamala Ahmedabad
Publisher: Hemchandracharya Granthamala Ahmedabad
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बंधणसंघायगहो तणूसु सामण्णवण्णचऊ ॥३०॥ इअ सत्तही बंधोदए य न य सम्ममीसया बंधे। बंधुदए सत्ताए वीसदुवीसवण्णसयं ॥ ३१॥ नरयतिरिनरसुरगई, इगबिअतिअचउपणिंदिजाईयो ।
ओरालविउव्वाहारगतेअकम्मणपणसरीरा ॥३२॥ बाहरु पिट्टि सिर उर, उयरंग उवंग अंगुलीपमुहा । सेसा अंगोवंगा पढमतणुतिगस्सुवंगाणि ॥ ३३ ॥ उरलाइपुग्गलाणं निबद्धबझ्झंतयाण संबंधं । जं कुणइ जउसमं तं उरलाईबंधणं नेयं ॥ ३४ ॥ जं संघायइ उरलाइपुग्गले तणगणं व दंताली । तं संघायं बंधणमिव तणुनामेण पंचविहं ॥ ३५ ॥
ओरालविउव्वाहारयाण सगतेअकम्मजुत्ताणं । नवबंधणाणि इयर दुसहियाणं तिन्नि तेसिं च ॥३६॥ संघयणमद्विनिचओ, तं छद्धा वजरिसहनारायं । तह य रिसहनारायं नारायं अद्धनारायं ॥ ३७॥ कोलिअ बेवर्ल्ड इह रिसहो पट्टो थ कीलिआ वज्ज । उभओ मक्कडबंधो नारायं इममुरालगे । ३८॥
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