Book Title: Karm Ki Gati Nyari Part 07
Author(s): Arunvijay
Publisher: Jain Shwetambar Tapagaccha Sangh Atmanand Sabha

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Page 2
________________ महान तपस्वीनी vin श्रीमती रतनबहन चौधरी धर्मपत्नी स्व० श्री मंगलचंदजी चौधरी (१) वरपीतप दो, (२) उपध्यान तीनों, (३) श्री शेत्रुज्य, हस्तीनापुर, आबुजी, तलाजा, के नव नवाणु यात्राएँ (४) मासखमण, (५) सोल उपवास, (६) चतारी अठ दस दोष दोय तप, (७) एव वर्ष में छ अठाई, (८) इन्द्रियविजयतप, (९) चार चौबीसी, (१०) कषायजयतप, (११) ऐकसोबीसकल्याणकतप अगीयार अंगतप, नवकार तप, चौदपूर्वतप, चतुर्दशीतप पंच मेरुतप, वर्धमानतप, अक्षयनीधीतप, रोहिणीतप वीश स्थानक तप, मौन अकादशीतप, क्षीरसमुद्रतप पीस्तालीश, आगम, चन्दनबाला, तेर कोढीयानोतप नव पद, ओलजी, पंचमहावृत, पोषदशमीतप, शेजय छठ, अतुम यात्रा तप, सिद्धीतप, बावनजीनालयतप, छ मासी, चार मासी, त्रणमासी, दो मासी डोढ मासी एवम् श्रेणीक तप आदि महान तपश्चर्या करीने जीवन धन्य बनाया।

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